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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में उत्तराखण्ड प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबन्धन और योजना प्राधिकरण (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority) (उत्तराखण्ड कैम्पा) के शासी निकाय की प्रथम बैठक आयोजित हुई। बैठक में वन मंत्री हरक सिंह रावत एवं मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे। बैठक में प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि नियमावली के प्राविधानों के तहत किये जाने वाले कार्यों पर व्यापक चर्चा हुई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि भविष्य में इस प्रकार की महत्वपूर्ण बैठकें निर्धारित समयावधि में आयोजित की जाए। इससे योजनाओं की समीक्षा एवं बेहतर क्रियान्वयन में मदद मिलेगी। उन्होंने जंगलों में जल प्रबंधन पर ध्यान देने की बात कही। जंगलों में बड़ी संख्या में तालाबों आदि के निर्माण से जंगली जानवरों को पीने का पानी उपलब्ध होने के साथ ही वनावरण व जल स्रोतों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि पिरूल एकत्रीकरण के लिये भी धनराशि का प्राविधान इसके तहत किया जाना चहिए, साथ ही वन पंचायतों को व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन की दिशा में भी पहल की जानी चाहिए। बड़ी संख्या में गिलोय आदि औषधीय पौधों के उत्पादन से इसकी मांग की पूर्ति होने के साथ ही पंचायतों के आय के स्रोत भी बढ़ेंगे। उन्होंने वन विभाग से व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण की कार्य योजना बनाने के भी निर्देश दिये। बंदरों से खेती को हो रहे नुकसान को कम करने के लिये उन्होंने अधिक से अधिक बंदर वार्डे़ बनाने पर भी ध्यान देने को कहा।

बैठक में बताया गया कि कैम्पा निधि में अप्रैल 2020 तक कुल रू. 303694.24 लाख की धनराशि उपलब्ध है। इसके तहत इस वर्ष किये जाने वाले कार्यों के लिये वार्षिक कार्य योजना के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा प्रथम चरण में महत्वपूर्ण वचनबद्ध गतिविधियों हेतु 15868 लाख की कार्य योजना स्वीकृत की है। इसके तहत वनाग्नि सुरक्षा एवं प्रबंधन हेतु प्रथम चरण में 4531.73 लाख, वन पंचायतों के सुदृढ़ीकरण, वृक्षारोपण, चारागाह विकास व प्रशिक्षण आदि हेतु 600 लाख, वर्ष 2021 में आयोजित कुम्भ मेले के दौरान मानव वन्य जीव संघर्ष रोकथाम हेतु 1090 लाख, संरक्षित क्षेत्रों में लगे ग्रामीण क्षेत्रों में मानव वन्य जीव संघर्ष की रोकथाम हेतु 135 इको विकास समितियों के सुदृढ़ीकरण क्षमता विकास हेतु 375 लाख, बुग्यालों के संरक्षण व संवर्धन हेतु 400 लाख वन्य जीव अनुसंधान कार्यों हेतु 300 लाख, वन रक्षक चौकियों/पैट्रोलिंग शेल्टरों व वाच टावरों के निर्माण हेतु 900 लाख, प्रकृति अनुभूति केन्द्र देहरादून की स्थापना हेतु 100 लाख, कोसी, शिप्रा, खोह, नयार आदि नदियों के पुनर्जीवीकरण के लिये 1500 लाख की धनराशि प्रमुख है।

बैठक में पर्यावरण मंत्री भारत सरकार की अध्यक्षता में गठित कैम्पा राष्ट्रीय प्राधिकरण के न्यासी निकाय के सदस्य के रूप में राज्य सरकार की ओर से सचिव/प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को नामित करने, वार्षिक योजना को निर्धारित मानकों के अनुसार  स्वीकृत किये जाने का दायित्व पूर्व की भांति मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कैम्पा संचालन समिति में निहित किये जाने, उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्यों के लिये मृदा एवं जल संरक्षण कार्यों को वन क्षेत्रों के बाहर भी कराये जाने हेतु नियमावली में प्राविधान किये जाने हेतु भारत सरकार को संदर्भित किये जाने पर सहमति बनी। इसके साथ ही एक्ट के प्राविधानों के अनुसार राज्य कैम्पा फण्ड में जमा करायी गई धनराशि का केन्द्र सरकार के खाते में स्थानान्तरण 10 प्रतिशत के स्थान पर 2 प्रतिशत सीमित किये जाने के साथ ही राज्यहित से सम्बन्धित अन्य कई गतिविधियों को भी इसमें शमिल किये जाने के सम्बन्ध में भी सहमति बनी। इस सम्बन्ध में पूर्व में भी मुख्यमंत्री द्वारा केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री से अनुरोध किया गया है।

बैठक में बताया गया कि उत्तराखण्ड कैम्पा के तहत सम्पादित कार्यों की भारत सरकार के निर्देशों के क्रम में एफआरआई देहरादून के स्तर पर तृतीय पक्ष मूल्यांकन एवं अनुश्रवण का कार्य किया जा रहा है, उनके द्वारा 14506 हैक्टेयर क्षेत्र का अनुश्रवण किया जा रहा है। बैठक में अपर मुख्य सचिव श्रीमती मनीषा पंवार, प्रमुख सचिव आनन्द वर्धन, सचिव श्रीमती सौजन्या, प्रमुख वन संरक्षक जयराज, उत्तराखण्ड कैम्पा के मुख्य कार्याधिकारी समीर सिन्हा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।