श्रीनगर गढ़वाल: मंगलवार को उत्तराखण्ड के श्रीनगर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) के करीब 900 छात्र कैंपस छोड़कर चले गए हैं। स्थाई कैंपस की मांग को लेकर पिछले 19 दिनों से कक्षाओं के बहिष्कार कर रहे छात्र आज हॉस्टल खालीकर अपने-अपने घरों को चले गए हैं। परिसर छोडने से पूर्व छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, उत्तराखंड के राज्यपाल व मुख्यमंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखंड, एमएचआरडी सचिव और एनआइटी के निदेशक को पत्र भेजे हैं। जिसमें उन्होंने लिखा है कि तत्काल अस्थायी कैंपस में शिफ्टिंग चाहते हैं। जो सुविधानक, चिकित्सीय सुविधा, कॉरपोरेट एक्सपोजर और मानकों को पूरा करता हो। उनका कहना है कि आंदोलन के 20 दिन होने के बाद भी राज्य व केंद्र सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने पत्र के साथ भेजे गए ज्ञापन कार्रवाई करने की मांग की है।
दो छात्राओं के साथ हुई सड़क दुर्घटना से शुरू हुआ आंदोलन
बता दें कि तीन अक्तूबर 2018 को बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर एनआईटी की दो छात्राओं को लैब जाते समय एक बेकाबू कार ने टक्कर मार दी थी। इस हादसे में एक छात्रा गंभीर घायल हो गई थी। जिसका इलाज एम्स ऋषिकेश में चल रहा है। जहां उसकी हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। इस घटना से आक्रोशित होकर एनआईटी संस्थान के छात्र-छात्राएं अगले दिन से ही कक्षाओं का बहिस्कार कर आंदोलन पर चले गये थे। छात्रों ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल किए हैं। जिसमें उन्होंने तत्काल तीन मांगों घायल छात्रा का इलाज का खर्चा उठाने, तत्काल अस्थायी कैंपस में शिफ्ट करने और स्थायी कैंपस के लिए भूमि चयन और निर्माण शुरू करवाने की मांग की है।
एनआईटी का स्थाई कैंपस सुमाड़ी में बनना है
बता दें कि वर्ष 2009 में स्वीकृत एनआईटी उत्तराखंड का अस्थायी कैंपस वर्तमान में श्रीनगर स्थित पॉलीटेक्निक के परिसंपत्ति में संचालित हो रहा है। जबकि स्थाई कैंपस के लिए श्रीनगर से 16 किलोमीटर दूर सुमाड़ी में भूमि चयनित की गई है। परन्तु कतिपय कारणों से अभी तक स्थाई कैंपस का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
आन्दोलन के पीछे राजनीति?
सूत्रों के अनुसार स्थाई कैंपस को लेकर आन्दोलन कर रहे छात्रों को राजनितिक मोहरा बनाया जा रहा है। इसके पीछे असली वजह ये बयाती जा रही है कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) जैसे अग्रणी संसथान को श्रीनगर (पहाड़) से कहीं और शिफ्ट करने की साजिश हो रही है। इसको बचने के लिए स्थानीय लोगों और नेताओं को आगे आना होगा। इस बात पर गौर करना होगा कि आखिर कैसे अचानक स्थाई कैंपस के मुद्दे को इतना बड़ा बना दिया गया कि छात्रों ने अपने भविष्य की परवाह किये बगैर कॉलेज छोड़ने का फैसला ले लिया। IIT के बाद NIT देश का दूसरा सबसे प्रमुख तकनीकी संस्थान है जिसमे प्रवेश पाने के लिए बच्चों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।