dangi-gaon

पौड़ी : कोरोना संक्रमण के चलते इस बार उत्तराखंड में हो रहे विधानसभा चुनावों के प्रचार-प्रसार को लेकर चुनाव आयोग ने बड़ी राजनीतिक रैलियों एवं जनसभाओं पर आखिरी समय तक रोक लगा रखी थी। जिसके चलते ज्यादातर प्रत्याशियों में अपनी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गाँवों में भ्रमण करते हुए घर-घर जाकर (डोर-टू-डोर) वोट मांगे। परन्तु हैरानी की बात है कि पौड़ी विधानसभा (37) के अंर्तगत कुछ ऐसे भी गाँव हैं, जहाँ किसी भी पार्टी का प्रत्याशी वोट मांगने नहीं आया। ग्रामीणों का कहना है कि इसका मुख्य कारण यह है कि उनके गाँव में अभी तक सड़क नहीं आ पाई है, वे लोग लम्बे समय से अपने गाँव में सड़क की मांग कर रहे हैं, पिछले कई चुनावों में नेता उन्हें सड़क बनाने का आश्वासन देकर वोट ले चुके हैं। परन्तु अब तक इन गाँवों को सड़क जैसी बुनियादी सुविधा नहीं मिल सकी है। इसी डर से शायद इस बार कोई भी प्रत्याशी इन गोवों ने वोट मांगने नहीं आया।

पौड़ी विधानसभा के मतदान स्थल ग्राम डांगी जिसमें 7 राजस्व गांव का आते हैं। मतदान केंद्र डांगी में चार ग्राम पंचायतों के गांव थनुल, ठंगरधार, बुटली ग्राम पंचायत से तकलना-टोलु, वहीँ गढ़कोट से पाली-सुरालगांव के कुल 371 मतदाता हैं। लेकिन अभी भी सड़क डांगी सुरालगांव तकलना और ठंगरधार गांव से नही जुड़ी। ग्रामीणों का कहना है कि बीते पांच साल के कार्यकाल में क्षेत्रीय विधायक एक बार भी इन गांवो में नही आया। यूं तो सड़क की मांग राज्य गठन के बाद पहली बार 2002 में चुनाव जीत कर आई कांग्रेस सरकार के समय से चली आ रही है। लेकिन क्षेत्रीय जनता ने 2012 में सड़क के लिए चिनवाडी डांडा पम्पिंग योजना के 11 सूत्रीय मांगो में एक मांग घण्डियाल-पाली-सुरालगांव-तकलना-डांगी-ठंगरधार पावों-थनुल-थानेश्वर महादेव तक सड़क निर्माण की मांग पूरी न होने पर डांगी गांव के मतदाओं ने 2014 के लोकसभा चुनाव बहिष्कार किया था। उसके बाद फिर 2017 में भी ग्रामीणों द्वारा विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया गया। लेकिन तत्कालीन जिलाधिकारी के अनुरोध पर चुनाव से एक दिन पहले सड़क निर्माण के आश्वासन से सहमत होकर ग्रामीणों ने मतदान किया। परन्तु उसके बाद जिला योजना में तीन किलोमीटर की जगह मात्र आधा किलोमीटर ही सड़क स्वीकृत हुई।

हालाँकि क्षेत्रीय विधायक द्वारा अक्टूबर 2017 में शासन को प्रकालन वित्तीय स्वीकृति के लिए भेजा गया। लेकिन वित्तीय स्वीकृति न मिलने से सड़क निर्माण का काम आगे नहीं बढ़ सका। जिसके बाद ग्रामीण आक्रोशित हो गए और बर्ष 2018 में एक  मई से 5 जून तक पाली तिराहा पर क्रमिक अनशन पर बैठ गए। इसीबीच एक दिन समस्त ग्रामीणों ने मण्डल मुख्यालय का जबरदस्त घेराव भी किया और विधायक के कार्यालय में जमकर हंगामा भी कटा। फिर भी सड़क को वित्तीय स्वीकृति नही मिली। जबकि इसी मतदान केंद्र के अंर्तगत मात्र 23 साल की उम्र में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शौर्य चक्र विजेता शहीद मनीष पटवाल का गाँव सुरालगांव भी आता है। दो वर्ष पूर्व शहीद मनीष पटवाल ने जन्म दिवस (शहीदी दिवस) एवं स्वामी विवेकानंद की जयंती पर घंडियाल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे क्षेत्रीय विधायक मुकेश कोली ने शहीद के नाम पर भव्य द्वार तथा सड़क को वित्तीय स्वीकृति की घोषणा की। परन्तु उनकी घोषणायें मात्र घोषणाएं ही बन कर रह गयी।

इसके बाद ग्रामीणों ने चंदे के रूप में कुछ धनराशि एकृत कर, पंचायत निधि, प्रमुख निधि, एक लाख विधायक निधि से इकठ्ठा कर पाली डांगी गांव तक सड़क की वैकल्पिक व्यवस्था बना ली है। हलांकि आचार सहिंता से चार दिन पहले लोक निर्माण विभाग ने तीन किलोमीटर सड़क का भूमि पूजन तत्कलीन विधायक मुकेश कोली से करा दिया है। लेकिन कार्य प्रगति पर न होने पर ग्रामीणों को विश्वाश नही हो रहा हैं। क्योंकि भूमि पूजा स्थल पर शिलान्यास, शिलापट्ट वाला पत्थर तक नही हैं। गांव के जाने माने इतिहासकार डॉक्टर रणवीर सिंह चौहान बताते हैं कि वह कोटद्वार में रहते लेकिन जीवन के अंतिम पड़ाव में गांव आना चाहते है। लेकिन उनके गाँव तक सड़क चलने लायक नही है। इसी प्रकार डॉक्टर वैध जयचंद सिंह चौहान दिल्ली के मंगोलपुरी में दवाखाना चलाते हैं। वे भी बुड़ापे में गांव आने चाहते हैं, लेकिन पैदल नही चल सकते है। आखिर इन गाँवों में कब सड़क पहुंचेगी। चुनाव प्रचार का आज आखरी दिन है। 14 फरवरी को मतदान है। लेकिन ग्रामीण का कहना है कि  अभी तक किसी भी पार्टी का प्रत्याशी यहाँ वोट मांगने नही आया।