पौराणिक मेला लुप्त हो गया हो और उस मेले को ग्रामीणों द्वारा भव्य रूप दिया जाए तो यह अपनी संस्कृति को बचाने की एक अच्छी पहल है। सतपुली से 12 किलोमीटर दूरी पर स्थित बाडियूं के पास मानियारस्यूं पट्टी के चोपड़ा गांव एवं लंगूर पट्टी के कैंडूल गांव की भूमि पर नयार नदी के छोर पर प्राचीन मांता सावित्री का मंदिर है। मान्यताओं में कहा गया है कि यहीं पर माता सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यावान के प्राण वापस ले लिए थे।
जानकार बताते हैं कि यहाँ पर अमावस की रात स्वयं द्वीप प्रज्वलित होता है। मंन्दिर में रविवार को मंडाण भजन-क्रीतन आदि आयोजन हुआ। आज सोमवार को कैंडुल के ग्रामीण ढोल-दमाऊ के साथ माता का निशाण लेकर मंदिर पहुंचे। गांव के धनपाल सिंह, दिनेश रावत, संदीप रावत ने बताया कि उन्होंने पहली बार इस मेले के लिए गांव की सभी विवाहिता दिशा-ध्याणीयों को भी आमंत्रित किया। कल गांव के प्रसिद्ध कन्केश्वर महादेव मंदिर में भंडारा का आयोजन होगा। और कल ही सभी मायके आई बहिनों को पहाड़ी पकवान आरसो के साथ विदाई की जाएगी।
उन्होंने बताया कि अगले वर्ष से यह मेला भव्य तरीके से आयोजित किया जाएगा। जिसमें क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाएगा। मेले के दौरान आज गांव के ही कुछ श्रद्धालुओ द्वारा मन्दिर में विशाल भण्डारा का आयोजन किया गया। मेले में आए सभी श्रद्धालुओं खासकर छोटे-छोटे बच्चों ने गर्मी से राहत पाने के लिए नयार नदी में डुबकी लगाकर कर जमकर मौज मस्ती की।
इस अवसर पर चोपड़ा, धनियार, मरोड़ा, ठंगर, सैनार, देषण, बिलखेत, खांडा, तोली-बाड़ीयूं के ग्रामीण भारी संख्या में पहुंचे। इस अवसर पर किंकेश्वर मंन्दिर के महंत आशुतोष महाराज, ब्यासचट्टी ब्यास मन्दिर के महंत पुरुषोत्तम महाराज, पतंजलि के श्याम शंकर महाराज, पूर्व प्रमुख कल्जीखाल सुरेन्द्र सिंह नेगी, बिलखेत बीडीसी सदस्य देवेन्द्र सिंह, ठंगर की ग्राम प्रधान श्रीमती सोनम, पूर्व सांसद प्रतिनिधि सुरेन्द्र सिंह पटवाल, पूर्व बीडीसी सदस्य एवं भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष जयकृत सिंह रावत सहित क़ई प्रबुद्ध लोग मौजूद थे। जगमोहन डांगी



