Panchayat elections in Uttarakhand: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अब मई के अंत तक होने की संभावना है। सरकार पहले अप्रैल के अंत तक चुनाव कराने की तैयारी में थी, लेकिन परिसीमन और ओबीसी आरक्षण प्रक्रिया के कारण चुनाव की तिथि आगे बढ़ानी पड़ी। अब निर्वाचन आयोग ने अपनी प्रक्रिया तेज कर दी है और मतदाता सूची को अपडेट करने का अभियान चला रहा है।

 परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया बनी देरी का कारण

ऊधमसिंह नगर के दो ब्लॉकों में कुछ पंचायतों को नगर निगम में शामिल किए जाने के कारण परिसीमन प्रभावित हुआ। इससे पंचायतों की संख्या और उनके वार्डों में बदलाव हुआ। अब ग्राम पंचायतों की संख्या 7,796 से बढ़कर 7,823 हो गई है। इसी तरह, जिला पंचायत की सीटें 385 से बढ़कर 389 हो गई हैं, जबकि क्षेत्र पंचायतों की संख्या घटकर 3,157 रह गई. इसके अलावा, ओबीसी आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया भी अधूरी थी। इसे अंतिम रूप देने के लिए सरकार एकल समर्पित आयोग का कार्यकाल बढ़ाने जा रही है, जिसका प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में रखा जाएगा।

 निर्वाचन आयोग ने तेज की प्रक्रिया

राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव की तैयारियों को गति दी है। आयोग इन दिनों ग्राम पंचायतों में खुली बैठकें आयोजित कर रहा है, ताकि मतदाता सूची को सही किया जा सके। आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल के अनुसार, यह विशेष अभियान उन मतदाताओं के लिए है, जिनके नाम छूट गए हैं या जिनके नाम में कोई गलती है।

मतदाता सूची को पूरी तरह से सही करने के बाद इसे ऑनलाइन किया जाएगा, ताकि किसी भी मतदाता का नाम छूटने से बच सके। यह प्रक्रिया चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है।

 सरकार के पास चुनाव कराने के लिए पर्याप्त समय

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल 27 नवंबर को समाप्त हो गया था। इसके बाद सरकार ने दिसंबर में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी थी। सरकार के पास अब भी 65 दिन का समय है, जिसमें चुनाव संपन्न कराए जा सकते हैं। पंचायती राज विभाग के सचिव चंद्रेश कुमार ने कहा कि कुछ तकनीकी कारणों से देरी हुई है, लेकिन चुनाव समय पर करा लिए जाएंगे।

क्या होगा आगे?

  •  जल्द ही मतदाता सूची को ऑनलाइन किया जाएगा।
  • ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा।
  •  परिसीमन से प्रभावित पंचायतों की स्थिति स्पष्ट की जाएगी।
  • पंचायत चुनाव की आधिकारिक तिथियों की घोषणा जल्द हो सकती है।
  • मई के अंत तक चुनाव संपन्न कराने की तैयारी पूरी है, जिससे गांवों में नई पंचायतों का गठन हो सके और स्थानीय प्रशासनिक कार्य सुचारू रूप से शुरू हो सकें।