Pandit Madhusudan Manodi

दीप सिलोड़ी

उत्तराखंड समाज एकता महासंघ दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष चैतराम शर्मा की कलम से दी गई पंडित मधुसूदन मनोडी को भावभीनी श्रद्धांजलि।

सिरगुर पट्टी ग्राम मनोड़ा पिंडर घाटी चमोली के मूल निवासी थे पंडित मधुसूदन मनोडी। अकल्पनीय, अविश्वनीय स्तब्ध हूं सूदन जी के असमय इस लोक से विदा हो जाने पर साथ ही कोरोना के प्रोटोकॉल को देखते हुए उनकी शव यात्रा में शामिल न होने का मुझे काफी दुख है। लोगों को हंसाते हसाते इतनी गहरी नींद में सो जाएंगे ऐसा कभी नहीं सोचा था। बहुत याद आएंगे। प्रभु से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान देकर मोक्ष प्रदान करें।

आपका व्यक्तित्व एवम कृतज्ञ, अद्भुत, विलक्षण, प्रेरक एवम निराला था। जो आपके संपर्क में रहा उसके विचार, सोच व जीवनधरा बदल गई।

आपका जीवन, चरित्र, प्रेरणा, शिक्षा, आदर्शो आदि से भरा हुआ था। आपके द्वारा बात बात पर प्रश्नों के प्रश्नोत्तर संस्कृत के श्लोक/ मंत्रों द्वारा दिया जाना एक जवलंत उदहारण के तौर पर याद किया जाएगा। वेदप्रचार, संस्कृति सभ्यता की रक्षा, सामाजिक सुधार ,धर्म ,भक्ति व   कर्मकांड के आप प्रखरवक्ता के रूप में जाने जाते रहेंगे।

आपकी छोटी-छोटी बातें  घटनाएं ,शिक्षाएं मनुष्य जीवन में परिवर्तन ,क्रांति और प्रेरणा देती रहेगी।आप कभी भी अपने सुख दुख के लिए न चिंतित हुए ना रोए पर दूसरो को अपने प्रसनचिंत से हंसाते रहे ।

आप मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में जन्मे पैत्रिक व्यवसाय पंडिताई का होने के कारण आप बाल्यकाल से ही ज्योतिष विद्या के क्षेत्र में काफी रुचि रखते थे यही कारण था कि आपने सभी प्रकार की ज्योतिष विद्या का अध्यन किया और उसी से अपनी पहचान क्षेत्र में बनाई। इसी कारण आप जोशी जी के नाम से जाने जाने लगे।

वर्तमान में आपके पेत्रिक क्षेत्र में आपकी गिनती अच्छे विद्वानों में की जाती है। आपने बाल्यकाल में ही व्याकरण का सामान्य ज्ञान, हितोपदेश, शिवसहस्त्र नाम और श्लोक पाठ याद कर लिए थे। आप की तर्कक्षमता, कर्तव्य परायणता, सहज स्वभाव, मधुर भाषी सभी प्रकार के लोककलाओं का ज्ञान, बहुमुखी प्रतिभा के धनी सदैव प्रसन्नचित एवं मजाकिया स्वभाव के माध्यम से सबसे मेल मिलाप से रहना ये आपका मूल स्वभाव था।

ढाई साल मुझे भी ऋषिकेश में वक्तिगत तौर पर आपके विचारो व आपके स्वभाव के बारे में जानने का सौभाग्य मिला। वह समय सदैव याद रखा जायेगा। प्रभु की इच्छा को कोई नही टाल सकता।

प्रभु का प्यारा अपनी यह लीला समाप्त करके प्रभु की सेवा में चला गया।इस दुख की घड़ी में भगवान उनके परिवार को दुख सहने की सक्ति दे।

ओम शांति ओम।

मेरे परिवारजनों के द्वारा भावभीनी श्रद्धांजलि।