पौड़ी: शिक्षा विभाग की ओर से शुरू की गई क्लस्टर विद्यालय योजना का पौड़ी जनपद में विरोध होना शुरू हो गया है। मंगलवार को राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय डोबरियासार, रिखणीखाल को क्लस्टर योजना के तहत समायोजित किए जाने पर क्षेत्र के अभिभावकों ने मुख्य शिक्षा अधिकारी जनपद पौड़ी गढ़वाल एवं खंड शिक्षा अधिकारी रिखणीखाल को पत्र लिखकर विरोध जताते हुए विद्यालय को यथावत रखने की मांग की।

अभिभावकों ने मुख्य शिक्षा अधिकारी तथा खंड शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर अवगत कराया कि हमारे सेवित ग्राम में स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय डाबरियासार को क्लस्टर विद्यालय राजकीय इंटर कॉलेज बूंगलगढ़ी में स्थानांतरित किया जा रहा है। जबकि हमारे क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां विषम हैं। कुछ गांवों की दूरी क्लस्टर विद्यालय से 10 किलोमीटर से अधिक है तथा कुछ गांव (झुंडाई सारी, चांदपुर, डोबरियों मुख्य मार्ग से नहीं जुड़े होने के कारण बच्चों को पैदल ही विद्यालय आवागमन करना पड़ता है। साथ ही वन क्षेत्र होने के कारण इस क्षेत्र में जंगली जानवरों (बाघ/गुलदार) की समस्या भी लगातार बनी रहती है। यही नहीं वर्षा काल में मन्दाल नदी का जल प्रवाह बढ़ने के कारण भी बच्चों को विद्यालय आने-जाने में समस्या होती है। शिक्षा के लिए हर दिन 20 किमी का सफर तय करने से बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

अभिभावकों का कहना है इन हालातों में हम अपने बच्चों को दूरवर्ती विद्यालय में नहीं भेज सकते हैं। अभिभावकों ने कहा कि बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए बच्चों को इसी विद्यालय में पढ़ने दिया जाये। सेवित ग्राम के विद्यालय को अन्य जगह स्थानांतरित ना किया जाए।

कलस्टर विद्यालय योजना का रा.शि. संघ ने किया विरोध

कम छात्र संख्या और अधिक दूरी वाले विद्यालयों को समायोजित कर बनाए जाने वाले कलस्टर विद्यालयों का शिक्षक संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। राजकीय शिक्षक संघ पौड़ी ने कलस्टर विद्यालय खोले जाने को लेकर आक्रोश जताया है।

जिला मंत्री बिजेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि उत्तराखंड के विषम भौगोलिक परिदृश्य रखे प्रदेश के लिए भी गंभीर चुनौती साबित होने जा रहा हैं वो चुनौती हैं क्लस्टर विद्यालय उत्तराखंड के सरकारी माध्यमिक विद्यालय जिनकी संख्या वर्तमान में लगभग 1552 हैं और भविष्य में 559 विद्यालय तक सिमट कर रह जायेगी ये हमें  सन् 1960-65 के दौर में ले जाएगा जब किसी विकासखंड में एक या दो राजकीय माध्यमिक विद्यालय हुआ करते थे इसका परिणाम  क्या होंगे अब  बताते हैं

  1. विद्यालयों में विद्यार्थियों का नामांकन  घटेगा
  2. विद्यालय सेवित क्षेत्र से अत्यधिक दूर होने पर खासतौर पर बालिकाओं के नामांकन घटने की पूर्ण संभावना हैं क्योंकि 2005 के बाद रिकॉर्ड के अनुसार  नजदीक 5 km पट विद्यालय के होने पर बालिकाओं के नामांकन में बढ़ोत्तरी हुई हैं
  3. खासतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में गाड़ी समय पर स्टेशन पर उपलब्ध न होने पर समय पर छात्र स्कूल नहीं पहुंच पाएंगे
  4. पलायन की अत्यधिक संभावना बनेगी क्योंकि न पहाड़ में रोजगार हैं और न ही नजदीक में पाठशाला जिससे उस क्षेत्र के लोग ऐसी जगह पलायन करने पर मजबूर होंगे जहां उसे रोजगार और नजदीक में पाठशाला भी उपलब्ध हो सके
  5. सम्पूर्ण शिक्षा प्रभावित होना स्वाभाविक हैं क्योंकि जब स्कूल नही रहेंगे तो जो बेरोजगार छात्र बीएड या Dled करते हैं उनका उससे मोहभंग होगा जिससे निजी विद्यालयों में भी अच्छे योग्यताधारी शिक्षक नही मिलेंगे

उन्होंने कहा कि पूर्व शिक्षा मंत्री स्वर्गीय डॉ शिवानंद नौटियाल ने कहा था कि शिक्षा विभाग हमारे लिए गृह उद्योग हैं. परन्तु आज उस गृह उद्योग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.