श्रीनगर: राजकीय प्राथमिक विद्यालय जोगड़ी विकासखंड खिर्सू वह ग्राम पंचायत जोगड़ी के सौजन्य से ऐसे पौधों का रोपण किया गया, जो कि अध्यात्म और वैज्ञानिक ढंग से सदा मानव जगत का कल्याण एवं पर्यावरण की सुरक्षा करते आ रहे हैं। सावन के इस पवित्र माह में सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों तथा विद्यालय प्रधानाध्यापिका श्रीमती जयश्री जोशी व आनंद सिंह पवार द्वारा विद्यालय परिसर तथा मंदिर में वटवृक्ष व पीपल के पौधों का रोपण संपूर्ण विधि विधान वह भारतीय संस्कृति के अनुसार पेड़ पौधों की पूजा अर्चना कर भव्य रुप से छात्र छात्राओं के साथ मिलकर किया गया।
इस अवसर पर समाजसेवी जगत सिंह रावत ने छात्रों को पीपल के पेड़ की आध्यात्मिक जानकारी देने के साथ-साथ उनके वैज्ञानिक महत्व बताये।
पीपल को वृक्षों का राजा कहते हैं। सनातन धर्म में पीपल के वृक्ष को बहुत पवित्र माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस वृक्ष में सभी देवी देवताओं और हमारे पितरों का वास भी माना गया है। पीपल वस्तुत: भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत: मूर्तिमान स्वरूप ही है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि वृक्षों में, मैं पीपल हूं। यह पुराणों में भी उल्लेखित है। अर्थात इसके मूल में भगवान ब्रह्म मध्य में भगवान श्री विष्णु तथा अग्र भाग में भगवान शिव का वास होता है। शास्त्रों के अनुसार पीपल की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने से समस्त देवता की स्वयं ही पूजा हो जाती है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को जीवन में पीपल का पेड़ अवश्य ही लगाना चाहिए। कहते है पीपल से बड़ा मित्र कोई भी नहीं है। पीपल का पौधा लगाने वाले व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार संकट नहीं रहता है। पीपल का पौधा लगाने के बाद उसे रविवार को छोड़कर नियमित रूप से जल भी अवश्य ही अर्पित करना चाहिए।
पीपल का पेड़ वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, जो 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है, जो मनुष्यों के लिए बहुत जरूरी है। पीपल के नीचे महात्मा बुद्ध से लेकर कई अन्य ऋषि-मुनियों ने ज्ञानार्जन किया है।
इस अवसर पर आनंद सिंह पवार ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को हम कैसे अपने संस्कारों व आध्यात्म से जोड़ कर रखें, उसका सबसे अच्छा तरीका यही है कि आज हम अधिक से अधिक ऐसे पेड़ पौधे लगाए, जिनका महत्व हमारे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है।
इस अवसर पर ताज और सिंह रावत जगत सिंह रावत जय श्री जोशी शकुंतला देवी आदि उपस्थित थे।