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Phool Dei 2024: इस वर्ष फूलदेई के आने से पहले ही फूल खिलने लगे हैं। बुरांश और अन्य फूल जिन्हें मार्च में फूलना था वो जनवरी में ही फूल गये, देहरादून के आसपास दिसम्बर- जनवरी में बारिश नहीं हुई, जबकि फरवरी के अंत में ठंड, बारिश और बर्फ पड़ी है। यह स्पष्ट तौर से ग्लोबल वार्मिंग का मौसम परिवर्तन पर असर है।

फूलदेई पर्व की उत्तराखंड में विशेष मान्यता है। फूलदेई चैत्र संक्रांति के दिन मनाया जाता है क्योंकि हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास ही हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही संसार की रचना प्रारंभ की। पूजा पाठ के हिसाब से चैत्र मास का विशेष महत्व है। वैसे होलिका दहन से चैत्र मास की शुरुआत होती है।

इस त्योहार को खासतौर से बच्चे मनाते हैं और घर-घर की देहरी पर सुबह सवेरे लोकगीत गाते हुए फूल डालते हैं। इस वर्ष 14 मार्च के दिन फूलदेई का पर्व मनाया जाएगा। पहाड़ों में कई स्थानों पर संक्रांति से लेकर अष्टमी (अठवाड) तक घर-घर फूल डालने की परंपरा हैं।

फूलदेई क्यों मनाई जाती है

फूलदेई से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है जिसके अनुसार एक समय की बात है जब पहाड़ों मं घोघाजीत नामक राजा रहता था। इस राजा की एक पुत्री थी जिसका नाम घोघा था। घोघा प्रकृति प्रेमी थी। एक दिन छोटी उम्र में ही घोघा लापता हो गई। घोघा के गायब होने के बाद से ही राजा घोघाजीत उदास रहने लगे। तभी कुलदेवी ने सुझाव दिया कि राजा गांवभर के बच्चों को वसंत चैत्र की अष्टमी पर बुलाएं और बच्चों से फ्योंली और बुरांस देहरी पर रखवाएं। कुलदेवी के अनुसार ऐसा करने पर घर में खुशहाली आएगी। इसके बाद से ही फूलदेई मनाया जाने लगा।

दस हजार बच्चों के साथ मनाई जाएगी फूलदेई

सामाजिक संस्था धाद हर साल पूरे उत्तराखंड में फूलदेई त्योहार को व्यापक रूप से मनाती आ रही है। इस वर्ष भी संस्था द्वारा करीब दस हजार बच्चों को इस अभियान से जोड़ा जाएगा। संस्था के सचिव तन्मय ममगाईं व फूलदेई अभियान संयोजक गणेश उनियाल ने बताया कि इस साल हम उत्तराखंड हिमालय के लोग जलवायु परिवर्तन की इस बहस में अपनी भूमिका को कैसे स्थापित करते हैं और नयी पीढ़ी को शामिल करते हुए एक नागरिक पहल किस तरह कर सकते हैं इस निमित्त इस बार हम उत्तरखंड के दस हजार बच्चों के फूलदेई अभियान प्रारम्भ कर रहे हैं जो 14 मार्च से प्रारम्भ होकर 14 अप्रैल तक प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में आयोजित होगा। आयोजन में क्लाइमेट चेंज के दौर में फूलदेई पर लेखन,रंग और संवाद के साथ विभिन्न सार्वजनिक आयोजन किये जायेंगे। कार्यक्रम का शुभारंभ 14 मार्च को दून लाइब्रेरी सभागार में सामाजिक संस्था रूम टू रिड की सहभागिता के साथ क्लाइमेट चेंज के दौर में फूलदेई विषय पर बच्चों के रंग, लेखन के प्रतिभाग और इस विषय पर बच्चों के लिए जलवायु परिवर्तन पर बच्चों के लिए तैयार की गयी किताबों के लोकार्पण के साथ होगा।