श्रीनगर गढ़वाल : हिमालय साहित्य एवं कला परिषद श्रीनगर गढ़वाल द्वारा आज प्रकृति के चितेरे कवि चन्द्र कुंवर बर्त्वाल के जन्म दिवस पर उनकी कविताओं का पाठ करते हुए उन्हें याद किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि हिमवंत कवि चन्द्र कुंवर बर्त्वाल ने मात्र 28 साल की उम्र में हिंदी साहित्य को अनमोल कविताओं का समृद्ध खजाना दे दिया था। समीक्षक चंद्र कुंवर बर्त्वाल को हिंदी का कालिदास मानते हैं। उनकी कविताओं में प्रकृति प्रेम झलकता है।
श्रीकोट गंगानाली में आयोजित कार्यक्रम में आज सर्वप्रथम गढ कवि देवेंद्र उनियाल ने कवि चन्द्र कुंवर बर्त्वाल की निम्न कविता का पाठ किया।
- अब छाया में गुंजन होगा वन में फूल खिलेंग,
- दिशा दिशा में अब सौरभ के धूमिल मेघ उठेंगे,
- अब रसाल की मंजरियों हो पर पिक के गीत झरेंगे,
- अब नवीन किसलाय मारूत में मर्मर मधुर करेंगे ,
- जीवित होंगे वन निंद्रा से निद्रित शैल जगेंगे,
- अब तरूओं में मधु से भीगे कोमल पंख उगेंगे,
- पद पद पर फैली दूर्वा पर हरियाली जागेगी ,
- बीती हिम रितु अब जीवन में प्रिय मधुरितु आएगी,
- रोएगी रबी के चुंबन से अब सानंद हिमानी,
- फुट उठेगी अब के गिरि गिरि के उर से उन्मद वाणी ,
- हिम का हास उड़ेगा धूमिल सुरसरि की लहरों पर,
- लहरें घूम घूम के नाचेंगे सागर के द्वारों पर,
- तुम आओगे इस जीवन में कहता मुझसे कोई ,
- खिलने को है व्याकुल होता इन प्राणों में कोई।।
त्रिलोक दर्शन थपलियाल ने उनकी निम्न कविता का पाठ किया।
- फूलों की जब चाहा मुझे थी
- तब कांटे भी नहीं मिले
- जब शशि की थी चाह मुझे
- तब जुगनू भी ना कहीं निकले
- आशा और निराशा सब कुछ
- खो मैं जग में घूम रहा है
- अब पग पग पर मिलते मुझको
- क्यों ये इतने फूल खिले है
नरेश नौटियाल ने उनकी निम्न कविता का पाठ किया।
- मैं न चाहता युग युग तक
- पृथ्वी पर जीना
- पर उतना जी लूँ
- जितना जीना सुंदर हो
- मैं न चाहता जीवनभर
- मधुरस ही पीना
- पर उतना पी लूँ
- जिससे मधुमय अन्तर हो
महेश गिरि ने चन्द्र कुंवर बर्त्वाल को नमन करते हुए उनकी निम्न कविता का पाठ किया।
- मैं बैठकर नवनीत कोमल फेन पर शशि विम्ब सा।
- अंकित करूंगा जननी तेरे अंक पर सुरधनु सदा हे,
- तटमृदंगोताल ध्वनिते लहर वीणावादिनी
- मुझको डुबा निज काव्य में है स्वर्ग सरी मंदाकिनी।।
इस मौके पर कार्यक्रम में उपस्थिम वक्ताओ ने स्कूली पाठ्यक्रम में हिंमवत कवि चंद्र कुंवर की कविताओं को शामिल न किए जाने और न ही उत्तराखण्ड साहित्य अकादमी का नाम की घोषणा फलीभूत न होने पर उनकी अपने राज्य में इस प्रकार की उपेक्षा पर गहरा रोष व्यक्त किया गया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता रोटरी क्लब श्रीनगर के अध्यक्ष नरेश नौटियाल व संचालन महेश गिरि द्वारा किया गया। आयोजन में मण्डलीय प्रवक्ता राजकीय शिक्षक संघ जसपाल सिंह गुसाईं, हेम चन्द्र मंमगाई, आकाश रावत, गढकवि देवेंद्र उनियाल, रंगकर्मी त्रिलोक दर्शन थपलियाल, उपस्थित रहे।