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कल्जीखाल : ग्राम प्रधानों ने जिला प्रशासन पर गांव में बनाए गए क्वारंटाइन केंद्रों में शौचालय की स्वच्छता, सैनिटाइज किए जाने के लिए किट एवं एक चारपाई खरीदने का दबाव बनाने का आरोप लगाया है। ग्राम प्रधानों का आरोप है कि प्रशासन की ओर से ग्राम पंचायतों को जो 10 हजार की धनाराशि दी गई है, उस पैसे से प्रशासन अपने मुताबिक सामान खरीदवाना चाहता है। जबकि ग्राम प्रधान गांवों में स्वच्छता व क्वारंटाइन हो रहे लोगों पर अभी तक अपने स्तर से इससे कहीं अधिक की धन राशि खर्च कर चुके हैं। जिसका प्रशासन की ओर से कोई भुगतान नहीं हुआ है। और अब जिला पंचायती राज विभाग की ओर से प्रधानों पर एक किट खरीदने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। जिसकी कीमत 6 हजार के करीब है।

दरअसल बीते दिनों उच्च न्यायालय में क्वारंटीन सेंटर की दशा पर दाखिल एक जनहित याचिका के बाद न्यायालय ने जिला प्रशासन को क्वारंटीन सेंटरों में शौचालयों की साफ सफाई की व्यवस्था तथा प्रवासियों को जमीन के बजाय चारपाई पर सुलवाने के आदेश दिए गए थे। इस आदेश के बाद जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक ग्रामसभा में टायलेट क्लीनर, ब्लीचिंग पाउडर, सोडियम हाइड्रोक्लोराईड, एक चारपाई, साबुन आदि खरीदने के लिए 10-10 हजार रुपये की धनराशि जारी की गई थी। अब इसी राशि से जिला प्रशासन ग्राम प्रधानों को उक्त किट खरीदने का दबाव बना रहा है।

प्रशासन के इस निर्णय के खिलाफ ग्राम प्रधानों ने आवाज बुलंद कर दी है। बुधवार को कल्जीखाल विकासखण्ड के प्रधान संगठन के अध्यक्ष प्रमोद रावत के नेतृत्व में कई प्रधानों ने जिलाधिकारी धीरज सिंह गर्ब्याल से मिलकर इस व्यवस्था के खिलाफ शिकायत की। प्रधानों का कहना था कि उन्हें सामान की किट जबरन थोपी जा रही है, उक्त किट कई ग्राम पंचायतों में भेज भी दी गई है। जिसके साथ 6 हजार का बिल थमाया जा रहा है। बिल में यह कहीं स्पष्ट नहीं किया गया है कि किट के अंदर क्या सामान है और किस सामान की कीमत कितनी है।

प्रधानों का कहना है कि प्रवासियों के क्वारंटीन में रहने के दौरान उनकी ओर से स्वयं के व्यय पर उनके भोजन आदि की व्यवस्था की गई। जिसका उन्हें कोई भी भुगतान नहीं किया गया। ऊपर से प्रवासियों के साथ मन मुटाव भी हुआ यहाँ तक कि ग्राम प्रधानों को भारी मानसिक तनाव झेलना पड़ा. अगर कोई प्रवासी रात के 2 बजे भी गाँव पहुंचे तो उन्हें भी कवारेंटाइन करने की व्यवस्था ग्राम प्रधान द्वारा की गई। उनका कहना था कि जब प्रशासन द्वारा सामान की किट स्वयं ही भेजनी थी तो फिर प्रधानों के खाते में नगद धनराशि क्यों भेजी। अब जबकि ग्राम प्रधानों ने अपनी ग्राम पंचायतों में अपनी हिसाब से सभी आवश्यक सामग्री स्वयं खरीद कर रखी है। तो ऐसे में ग्राम प्रधानों को उसी धनराशि में से जबरन थोपी गई किट खरीदने के लिए कहा जा रहा है।

प्रधानों ने पूर्व में व्यय धनराशि का भुगतान किये जाने की मांग के साथ ही अब दी जा रही किटों का बहिष्कार करते हुए डीएम को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने वालों में जयवीर रावत, शिवानी देवी, सुमित्रा देवी, ममता देवी, विनीता, मनोज आदि शामिल थे। प्रधानों के विरोध को देखते हुए जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने अनुबंधित फर्मों के काम पर रोक लगाते हुए प्रधानों को स्वेच्छा से सामान क्रय करने की छूट दे दी है।

जगमोहन डांगी

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