श्रीनगर गढ़वाल : गढ़वाल संस्था व स्वेच्छिक शिक्षक मंच श्रीनगर गढ़वाल द्वारा श्रीकोट गंगानाली में प्रकृति के चितेरे कवि स्व. चन्द्रकुंवर वर्त्वाल की 101 जयंती पर गुरुवार को एक साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्य्रकम में साहित्य एव संस्कृति से जुड़े लोगों द्वारा हिमवंत कवि चन्द्रकुंवर बर्त्वाल के साहित्यिक जीवन पर चर्चा की गई। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कार्यक्रम संयोजक सदस्य शिक्षक महेश गिरी द्वारा आमंत्रित साहित्यकारों का साहित्यिक परिचय कराया गया। कार्य्रकम का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार नीरज नैथानी द्वारा किया गया। लोक साहित्य पर काम कर रहे देवेंद्र उनियाल ने लोक साहित्य में कवि चंद्रकुवर की कविताओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए चन्द्रकुंवर बर्त्वाल की कुछ चुनिंदा कविताओं का पाठ किया।
गौरी पिता पद निसृते प्रेमवारी तरंगते
हे गीत मुखरे सुचिस्मिते कल्याणी भीम मनोहरे
हे गुहा वासनी योगिनी हे कलुष तट तरू नाशिनी
मुझको डूबा निजी काव्य में है सरसरी मंदाकिनी
तत्पश्चात शोधार्थी रेशमा पंवार द्वारा कवि की कविताओं का सस्वर वाचन किया गया। साथ ही चंद्रकुवर की कविताओं का छायावाद से लेकर प्रगतिवाद के सफर पर अपनी प्रखर वाणी से प्रकाश डाला।
मधुर स्वरों में मुझे नाम प्रिया का जपने दो
मधुरितु की ज्वाला में जी भर कर दो तपने दो
मुझे दुबने दो यमुना में प्रिया नैनों की
मुझे बहने दो गंगा में प्रिय बचनो की
सामाजिक कार्यकर्ता त्रिलोक दर्शन थपलियाल द्वारा पवालिया की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर अपनी बात रखते हुए कवि की प्रेम पर कविताओं का वाचन किया गया।
शिक्षाविद् प्रोफेसर उमा मैठानी जिन्होंने की चंद्रकुवर पर लगातार कार्य किया है, कवि के जीवन वृतांत साहित्यिक यात्रा के वर्णन करते हुए उनकी छायावाद, प्रकृतिवाद, सौंदर्य बोध सहित अनेक विषय पर अपने उद्बोधन में कहा। साथ ही उन लोगों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की, जिन्होंने चन्द्रकुंवर के बिखरे हुए साहित्य को समेट कर साहित्यकारों के सामने प्रस्तुत किए। इसमें प्रताप सिंह पुषपाण, शंभू प्रसाद बहुगुणा सहित कई अन्य नाम शामिल हैं।
तुम आओगे जीवन में मुझसे कहता कोई।
खिलने को है आतुर इन प्राणो में कोई।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे नीरज नैथानी द्वारा The song of a dying heart जो कि स्वर्गीय जीत सिंह जी द्वारा चंद्रकुवर की कविताओं का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था उनका वाचन किया गया।
जीवन का अंत है प्रेम का अंत नहीं
कल्पवृक्ष के लिए शिशिर हेमंत नहीं
कार्यक्रम के अंत में आयोजक संयोजक महेश गिरी और राजीव खत्री द्वारा सभी आभार व्यक्त किया गया।