पौड़ी:  उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड केस के सरकारी वकील जितेंद्र रावत ने खुद को केस से अलग कर लिया है। सरकारी वकील के स्वयं ही इस केस से हटने के बाद अंकिता के परिजनों ने अब 17 अगस्त को प्रस्तावित धरने को स्थगित कर दिया है। दरसल अंकिता के परिजन लगातार इस मामले में सरकार की ओर से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक जीतेंद्र रावत को हटाने की मांग कर रहे थे। अंकिता के परिजनों ने सरकारी वकील को इस केस से हटाने की मांग पूरी नहीं होने पर आत्मदाह और धरना देने की चेतावनी दी थी।

शनिवार को जिलाधिकारी पौड़ी डॉ. आशीष चैहान ने पत्रकारों से वार्ता कर बताया कि विशेष लोक अभियोजक जीतेन्द्र रावत ने स्वयं ही इस केस से हटने की इच्छा व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। इस बाबत पूछे जाने पर कि प्रशासन अथवा सरकार की ओर से उन्हें इस केस से हटने के लिए दबाव डाला गया था अथवा नहीं, डीएम ने बताया कि यह फैसला उन्होंने स्वयं लिया है। शुक्रवार रात ही उन्होंने यह पत्र भेजा। जिसके बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय से उन्हें मीडिया को इस बाबत जानकारी देने के लिए कहा गया।

शनिवार को अंकिता के परिजन डीएम से मिलने पौड़ी आए थे। इस दौरान डीएम ने अंकिता के परिजनों को इस बाबत विस्तार से जानकारी दी और बताया कि सरकारी वकील ने इस केस से हटने की खुद इच्छा जताते हुए सीएम को पत्र भेज दिया है। जिसके बाद अंकिता के पिता वीरेंद्र भंड़ारी ने पौड़ी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उनकी मांग पूरी हुई है। इस मांग को लेकर वह जिला प्रशासन के साथ ही सीएम से भी मिले थे। अब क्योंकि सरकारी वकील जीतेंद्र रावत ने स्वयं ही इस केस से हटने संबंधी पत्र सीएम को भेज दिया है, लिहाजा अब 17 जुलाई को प्रस्तावित धरने को भी स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने प्रदर्शन में शामिल न होने का निर्णय लिया है। डीएम ने बताया कि अंकिता भण्डारी के परिजन अब विशेष लोक अभियोजक के केस की पैरवी से हटने पर संतुष्ट हैं।