मध्यकालीन गढ़वाल की राजनीति में विशेष स्थान रखने वाले वीर पुरिया नैथानी जिनका जिक्र एक चतुर एवं कुशल कूटनीतिज्ञ तथा गढ़वाल के सेनापति के रूप में आता है। पुरिया नैथानी के जन्म स्थल, पौड़ी जनपद के नैथाणा गांव में आज उनका 375वां जन्मदिवस मनाते हुए उनके वंशजों तथा ग्रामीणों द्वारा उन्हें याद किया गया।

गढ़ चाणक्य कहलाने वाले वीर पुरिया नैथानी को सन 1668 में दिल्ली के औरंगजेब दरबार में गढ़वाल के राजा फतेहशाह की ओर से प्रतिनिधित्व करने के लिये भेजा गया था। उस समय गढ़वाल की जनता जजिया कर लगने की वजह से बहुत त्रस्त थी। पुरिया नैथानी ने बादशाह के सम्मुख गढ़वाल की भौगोलिक स्थिति का वर्णन बहुत अच्छी तरह से किया और बादशाह को विवश किया कि गढ़वाल (तत्कालीन श्रीनगर राज्य) की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से जजिया कर हटा लिया जाये। उन्होंने औरंगजेब के दरबार में निर्भयतापूर्वक अरबी-फारसी में वार्तालाप कर अपने वाकचातुर्य से गढ़वाल राज्य को जजिया कर से मुक्ति दिलाई। और सय्यद मुसलमान से कोटद्वार भाभर के इलाके को मुक्त करवाया और इस्लामी सेना द्वारा गढ़वाल के मंदिरों को तोड़ने से रुकवाया था।

वीर पुरिया नैथानी ट्रस्ट के अध्यक्ष निर्मल नैथानी ने जानकारी देते हुए बताया कि नैथाणा गांव में वीर पुरिया के निर्माणाधीन स्मारक पर गांव के बच्चों एवं महिला मंडल द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई। इस अवसर पर वीर पुरिया ट्रस्ट से जुड़े देहरादून, कोटद्वार, पौड़ी व आसपास के गांव से आए नैथानी परिवार के लोगों ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

इस दौरान वक्ताओं द्वारा वीर पुरिया के जीवन काल के हैरतअंगेज किस्से सुनाए गए। कार्यक्रम के दौरान नैथानी बंधुओं में डॉ. पुष्कर मोहन नैथानी, सुशील नैथानी, सोम नैथानी, मनोज नैथानी, सुदामा प्रसाद नैथानी, जयंती नैथानी, सुनैना नैथानी, सुरेश नैथानी समेत जसवीर रावत, जगमोहन डांगी आदि की मौजूदगी रही। कार्यक्रम का संचालन हेमंत मोहन नथानी द्वारा किया गया।