प्रक्रति ने पूरे उत्तराखंड पर भरपूर सौंदर्य लुटाया है, पर्यटन कि दृष्टि से उत्तराखंड विश्व प्रसिद्ध है। धार्मिक व पर्यटन के लिहाज से यहाँ कई रमणीक स्थल है जो किसी परिचय के मोहताज नहीं। किन्तु अभी भी सम्पूर्ण उत्तराखंड में अनेकों स्थल ऐसे हैं जहाँ प्रकृति के सभी नज़ारे देखने को मिल जायेंगे किन्तु उनसे अभी तक लोग अनभिज्ञ हैं। ऐसे ही एक अज्ञात स्थल से मै आपका परिचय कराना चाहता हूँ। जिसे राम जी ताल के नाम से जाना जाता है।
यह खूबसूरत स्थल कर्णप्रयाग नौटी मार्ग पर कर्णप्रयाग से करीब 13 किलोमीटर आगे जाख गाँव के पास पड़ता है। यहाँ से रामजी ताल लगभग 1500 मीटर कि ऊंचाई पर स्थित है। जहाँ पैदल मार्ग द्वारा ही जाया जा सकता है। रामजी जाते समय पैदल मार्ग पर कुछ मनमोहक एवं दर्शनीय गाँव पड़ते हैं, जहाँ रुक कर आप अपनी थकान मिटा सकते हैं। जाख से आधे घंटे के सफ़र के बाद पहला पड़ाव बजानधार पड़ता है। यहाँ पर विश्राम के लिए पीपल के पेड़ की छाँव का आनंद उठा सकते हैं।
यहाँ से आपको हिमालय के दर्शन भी हो जायेंगे, जो यहाँ से मुकुट कि भांति प्रतीत होता है। धीरे-धीरे आगे बढ़ने पर सुन्गरखाली जगह पड़ती है, यहाँ तक लगभग खड़ी चढ़ाई है। यहाँ से ठीक सामने दिख रहे कर्णप्रयाग की ख़ूबसूरती देखा जा सकता है। यहाँ से आगे की यात्रा के लिए घने जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है, उसके बाद ज्ञान्तोली नामक स्थान पड़ता है। ज्ञान्तोली होता हुआ रामजी ताल पुहंचा जा सकता है। पूरी पैदल यात्रा के दौरान आप प्रकृति के अनूठे सौंदर्य का आनन्द उठा सकते हैं। इस राह पर चलते हुए अक्सर यात्री महानगरों कि चकाचौंध, दौड़भाग, नौकरी व्यवसाय की सारी चिंताएं छोड़ स्वर्ग की तरह महसूस करते हैं। रास्ते में बांज कि जड़ों से रिश्ता हुआ शीतल जल शरीर की सारी थकान मिटा देता है। आगे बढ़ते हुए हिमालय का विहंगम दृश्यावलोकन कर सकते हैं।
अतीत में ज्ञान्तोली के मैदान को समतल कर इसमें हैलीपैड बनाने का प्रस्ताव था, किन्तु स्थानीय गाँव के लोगों के द्वारा विरोध स्वरुप यह योजना बंद करनी पड़ी अन्यथा यहाँ का जो प्राकृतिक सौन्दर्य है वो छिन चुका होता और पर्यावरण की दृष्टि से भी यहाँ भारी नुकसान होता। खैर ज्ञान्तोली से निकल कर रामजी ताल कि और चलते है जो यहाँ से केवल 100 मीटर दूरी पर है। ज्ञान्तोली से खड़ी चढ़ाई पर 25 मिनट चलने के बाद एक बहुत सुंदर व दर्शनीय स्थल रामजी ताल पहुँच जाते है। जैसा कि नाम से ही प्रतीत हो जाता है। किम्वदन्तियों के अनुसार भगवान रामचंद्र जी ने सीता माता एवं लक्ष्मण जी के संग 12 वर्षों के वनवास काल में भ्रमण करते-करते यहाँ पर भी कुछ दिन बिताये थे। तभी से यह स्थान रामजी ताल के नाम से विख्यात है, यहाँ पर प्राचीन काल में एक सुंदर ताल (झील) मौजूद थी जो कि समय के साथ-साथ सूखती चली गयी। आज भी लम्बी घुमावदार आकृति के रूप मै इस झील को देखा जा सकता है, वर्षाकाल में वर्षा के पानी से यह झील लबालब भरी रहती है, तब इसका सौंदर्य देखने योग्य होता है। झील के चारों और बांज के वृक्षों के समूह इसके सौंदर्य मै चार चाँद लगा देते है।
प्राचीन काल से ही यहाँ रामजी का मंदिर है, जिसका वर्तमान में स्थानीय लोंगों ने नवनिर्माण किया है। यहाँ पर यात्री रामजी के दर्शन कर सकते हैं। यह स्थल समुद्रतल से 3000 मीटर कि ऊंचाई पर स्थित है। इसलिए आप यहाँ से चारों और के मनभावन विहंगम दृश्यों का अवलोकन कर सकते है। यहाँ कुछ देर विश्राम करने के बाद वापस ज्ञान्तोली होते हुए रात्री विश्राम के लिए कर्णप्रयाग आ सकते है।
द्वारिका चमोली की कलम से