heavy rain alert in uttarakhand

Heavy Rain alert in uttarakhand: उत्तराखंड में राजधानी देहरादून समेत कई जिलों में बीते दो दिनों बारिश का दौर जारी है। पहाड़ों में बारिश के कारण कई जगह तो आपदा जैसे हालत बन गए है। वहीं अगले दो दिन भी लोगों को बारिश से राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे है। मौसम विभाग ने एक बार फिर से 6-7 जुलाई को प्रदेश में भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है।

मौसम विभाग के मुताबिक कुमाऊं मंडल में भारी से भारी बारिश की संभावना है। पिथौरागढ़, चंपावत, नैनीताल, ऊधमसिंहनगर समेत चमोली और पौड़ी जिले के कुछ इलाकों में रेड अलर्ट जारी किया गया है। देहरादून, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, टिहरी और हरिद्वार में कहीं-कहीं भारी से भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट है। मौसम वैज्ञानिकों ने हिदायत देते हुए कहा, तेज बारिश के दौरान खुले स्थान पर रहने से बचें। जबकि संवेदनशील व भूस्खलन वाले स्थान और नदियों के किनारे सतर्कता बरतें।

जिसको देखते हुए गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के कई जिलों में स्कूलों की छुट्टी के आदेश जारी किे गए है। इस दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों को भी बंद रखने के आदेश दिये गये हैं। गढ़वाल में जहां रुद्रप्रयाग और पौड़ी जिले में कल स्कूल बंद करने के आदेश दिए है तो वहीं कुमाऊं मंडल में बागेश्वर, नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जिले में स्कूलों की छुट्टी के आदेश दिए है। इसके अलावा देहरादून जिलाधिकारी ने मॉनसून सीजन में भारी बारिश को देखते हुए आपदा और राहत कार्यों से संबंधित सभी विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों की छुट्टी रद्द कर दी है।

गंगोत्री गोमुख तपोवन ट्रैक की यात्रा पर रोक

लगातार पांच दिन से हो रही बारिश से गोमुख-तपोवन ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया है। इसलिए अनिश्चितकाल के लिए गोमुख जाने पर रोक लगा दी गई है। चीड़बासा में मार्ग अवरुद्ध होने के कारण किसी भी यात्री और ट्रेकर को कनखू बैरियर से आगे जाने की अनुमति नहीं होगी। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर सुरंग के बाहर भारी भूस्खलन होने से सुरंग क्षतिग्रस्त हो गई और उसमें आवाजाही रोक दी गई है।

मौसम विभाग के अलर्ट के बाद और बीते बृहस्पतिवार को चीड़बासा नाले के उफान के पर आने से गोमुख ट्रैक पर आवाजाही सुरक्षित नहीं है। इसलिए गंगोत्री नेशनल पार्क प्रशासन ने अग्रिम आदेशों तक गंगोत्री से गोमुख तपोवन ट्रैक की यात्रा पर रोक लगा दी है। वहीं, इस यात्रा पर रोक लगने के कारण इस बार कांवड़ियों को गंगोत्री से ही जल भरकर लौटना पड़ेगा।