Uttarakhand teacher recruitment

देहरादून: उत्तराखंड के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों पर चयनित 50 से अधिक महिला अभ्यर्थियों का चयन रद्द होगा। गौरतलब है कि उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के 2906 पदों के लिए भर्ती चल रही है। शिक्षा निदेशालय के मुताबिक इस भर्ती प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा समेत अन्य राज्यों की ऐसी द्विवर्षीय डीएलएड महिला अभ्यर्थियों ने भी आवेदन किया है, जिनका विवाह अन्य राज्य से उत्तराखंड में हुआ है। और इसके बाद इनका चयन भी हो गया। खास बात यह है कि यह वो महिला अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने उत्तराखंड राज्य में विवाह के बाद आरक्षण से जुड़े प्रमाण पत्र बनवाए और इसी आधार पर भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण लिया।

इस मामले में अब शासन ने शिक्षा निदेशालय को आरक्षण से जुड़े नियमों को लेकर पत्र लिखा है, जिसमें इस तरह के अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने की बात कही गई है।

दरसल शिक्षा निदेशालय ने जिलों से मिली जानकारी के बाद शासन को अगस्त महीने में पत्र लिखा था। इसमें शासन से दिशा निर्देश मांगे गए थे कि क्या ऐसे अभ्यर्थियों को उत्तराखंड में आरक्षण का लाभ इस भर्ती के लिए दिया जा सकता है। शासन ने अब शिक्षा निदेशालय को इस पर लिखित रूप में निर्देश दे दिए हैं। इसमें उत्तराखंड पुनर्गठन नियमावली का हवाला देते हुए राज्य में ऐसे अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने की बात कही गई है। जिन अभ्यर्थियों ने 15 साल से पहले आरक्षण से जुड़े प्रमाण पत्र बनवाए थे, वही इसमें वैध माने जाएंगे। इसके बाद प्रमाण पत्र बनवाकर भर्ती प्रक्रिया में चयन होने की स्थिति में ऐसे अभ्यर्थियों का चयन रद्द किया जाएगा।

जांच के दायरे में 54 महिला अभ्यर्थी

उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत सहायक अध्यापक पद के लिए हो रही भर्ती में ऐसी करीब 54 महिला अभ्यर्थी चयनित की गई हैं, जो अब जांच के दायरे में आ गई हैं। बड़ी बात यह है कि शासन के निर्देशों के बाद अब जिलाधिकारी के स्तर पर बनाए गए ऐसे आरक्षण से जुड़े प्रमाण पत्रों की जांच भी की जाएगी। जिलों के जिलाधिकारी अब इन प्रमाण पत्रों की जांच करेंगे और इन प्रमाण पत्रों की वैधता को भी देखा जाएगा।

शासन ने जारी किया पत्र

प्राथमिक शिक्षा में अपर निदेशक आरएल आर्य के मुताबिक शासन द्वारा शिक्षा निदेशालय को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। जिसमें समाज कल्याण विभाग, कार्मिक विभाग और न्याय विभाग के परामर्श के आधार पर शासन ने प्रदेश में विवाह करने के बाद प्रमाण पत्र बनाने वाली महिला अभ्यर्थियों को आरक्षण नहीं दिए जाने से जुड़ा पत्र जारी कर दिया है।

आरक्षण की सुविधा अपने पैतृक राज्य में ही मिलेगी

शासन के अधिकारियों के मुताबिक शिक्षा निदेशालय से दिशा-निर्देश मांगे जाने के बाद शासन ने समाज कल्याण, कार्मिक और न्याय विभाग से इस संबंध में सुझाव मांगा था। जिस पर कार्मिक विभाग के 10 अक्तूबर 2002 के शासनादेश का हवाला दिया गया कि उत्तराखंड राज्य के अलावा उत्तर प्रदेश एवं अन्य किसी राज्य का कोई व्यक्ति उत्तराखंड राज्य की राज्याधीन सेवाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए अनुमन्य आरक्षण का लाभ नहीं पा सकेगा।

इसके अलावा समाज कल्याण विभाग के 29 दिसंबर 2008 का वह शासनादेश जो डीएम देहरादून को संबोधित है। उसके बिंदु संख्या तीन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 74 में संरक्षण केवल सेवा शर्तों के लिए है। ऐसे संरक्षण में ऐसे कर्मचारियों की संतान को अपने पैतृक राज्य के अलावा दूसरे राज्य में आरक्षण की कोई सुविधा नहीं मिलेगी न ही उन्हें दूसरे राज्य के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग का समझा जाएगा। उन्हें आरक्षण की सुविधा अपने पैतृक राज्य में ही मिलेगी।

नियुक्ति के लिए उत्तराखंड की बहुओं ने किया था आंदोलन

नियुक्ति की मांग को लेकर उत्तराखंड की बहुओं ने पिछले दिनों शिक्षा निदेशालय में प्रदर्शन कर धरना दिया था। उनका कहना था कि उत्तराखंड में उनका विवाह हुआ है। उन्हें नौकरी में आरक्षण का लाभ देते हुए नियुक्ति दी जाए।

ये शिक्षक हो सकते हैं बर्खास्त

शिक्षक भर्ती में कुछ ऐसे अभ्यर्थी भी शामिल हैं। जिसने अन्य राज्यों से डीएलएड के लिए स्थायी निवास की बाध्यता के बावजूद डीएलएड करने के बाद उत्तराखंड में नियुक्ति पा ली। जबकि नियुक्ति के लिए उत्तराखंड का स्थायी या मूल निवासी होना जरूरी है।

कुछ अभ्यर्थियों ने यूपी का जाति प्रमाण पत्र रद्द करवाने के बाद उत्तराखंड से जाति एवं निवास प्रमाण पत्र बनवाया है। उनके पति के आधार पर यह प्रमाण पत्र बना है। जिसे डीएम ने जारी किया है। इनके आरक्षण के मामले में समाज कल्याण, कार्मिक और न्याय से परामर्श शासन को मिल चुका है, लेकिन अभी निदेशालय को कोई निर्देश जारी नहीं हुआ।