नई दिल्ली के ‘गढ़वाल भवन’ मे शनिवार को आयोजित हिमवंत कवि चन्द्रकुँवर बर्त्वाल जन्म शताब्दी समारोह में उत्तराखंड के वरिष्ठ साहित्यकार, लेखक, कवि एवं फिल्म एक्टर मदन डुकलाण को उत्तराखंड साहित्य लेखन में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए चन्द्र कुँवर बर्त्वाल साहित्य सेवाश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर हिमवंत संस्था द्वारा मदन डुकलाण सहित उत्तराखंड के हिंदी एवं गढ़वाली साहित्यकार, समाज सेवी, कवि एवं पत्रकारिता से जुड़ी 20 हस्तियों को समानित किया गया।
ग्राम खनेटा, रिखणीखाल ब्लॉक, पौड़ी गढ़वाल के मूल निवासी वरिष्ठ साहित्यकार मदन डुकलाण वर्तमान में ओएनजीसी दिल्ली में कार्यरत हैं. मदन डुकलाण रंगमंच और थियेटर के भी मंझे हुए कलाकार हैं. पिछले 30 वर्षो से उत्तराखंड सिनेमा से जुड़े मदन डुकलाण अब तक कई गढ़वाली फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं. इसके अलावा वे कई गढ़वाली फिल्मों/एलबम के लिए गीत भी लिख चुके हैं. उनके द्वारा ‘तेरी सौं ‘, ‘गढ़वाली शोले’, ‘हन्त्या’, ‘याद आलि तेरी’ आदि गढ़वाली फिल्मो के लिए गीत लिखे गए हैं. इसके अलावा उन्होंने कई गढ़वाली एलबम के लिए भी गीत लिखे हैं. उनकी अब तक ‘इन दिनों ‘, ‘आंदी जांदी सांस’,’चेहरों के घेरे’, ‘पर्यास’, ‘अपणु ऐना अपणी अन्वार’, ‘अंग्वाल’, ‘हुंगरा’ आदि कई पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं. मदन डुकलाण को अब तक कई अवार्ड मिल चुके हैं, जिनमे मुख्यरूप से
दून श्री अवार्ड-2008
डॉ. गोविन्द चातक लोक भाषा सम्मान-2010
फिल्म याद तेरी आली के लिए उत्तराखंड सिने अवार्ड (2011) द्वारा बेस्ट एक्टर का अवार्ड
गढ़वाली फिल्मो में विशेष योगदान के लिए उत्तराखंड शोध संस्थान द्वारा अवार्ड
फिल्म अब त खुलली रात में नेगेटिव रोल के लिए उत्तराखंड सिने अवार्ड (2012) द्वारा बेस्ट एक्टर का अवार्ड
उत्तराखंड फिल्म एसोसिएशन (UFA) द्वारा 2012 में बेस्ट एक्टर का अवार्ड
वर्ष 2013 में यंग आइकॉन अवार्ड
इसके अलावा भी मदन डुकलाण उत्तराखंड में कई मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है.
कवि चन्द्रकुँवर बर्त्वाल जन्म शताब्दी सम्मान समारोह कार्यक्रम में गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे. जबकि दिल्ली संस्कृत तथा हिन्दी अकादमी में सचिव डॉ. जीत राम भट्ट, दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा एवं डीपीएमआई के अध्यक्ष डॉ. विनोद बछेती इस साहित्यिक समारोह में विशिष्ट अतिथि रूप में मौजूद रहे।
इस दौरान वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. पृथ्वी सिंह केदारखंडी के गढ़वाली काव्य संग्रह “धार मा कु गौं छ म्यारु” का लोकार्पण किया गया। सार्वभौमिक संस्था की सार्वभौमिक संस्था की टीम द्वारा पहाड़ से पलायन पर चोट करती हुई एक लघु नाटिका “अब क्या होलु” का भी खूबसूरत मंचन किया गया।