देहरादून:देहरादून में उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन–2025 के अवसर पर केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को वीडियो संदेश के माध्यम से प्रतिभागियों को संबोधित किया। उन्होंने इस महत्वपूर्ण आयोजन का स्वागत करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय संस्थानों के सहयोग से आयोजित यह सम्मेलन आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है।

यादव ने उत्तराखंड राज्य की स्थापना के रजत जयंती वर्ष पर राज्य की जनता को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि पिछले 25 वर्षों में राज्य ने चुनौतियों के बावजूद राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर एक प्रगतिशील पहचान स्थापित की है। उन्होंने सन्देश में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की प्रगति को नई दिशा प्रदान की है। यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री का हिमालय से विशेष अनुराग रहा है और उन्होंने हिमालय के विषयों , सन्दर्भों, संरक्षण और सुरक्षा के विषयों को हमेशा से सामने रखा है।

यादव ने कहा कि हिमालय हमारा गौरव है और हिमालय भारत की अध्यात्मिक, सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और जैव विविधता की धरोहर है। उन्होंने कहा कि हिमालय से निकली नदियाँ भारतीय सभ्यता की आधारशीला हैं। यादव ने जोर देते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन की दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय पटल पर हिमालय को निरंतर केंद्र में रखने की आज आवश्यकता है।

अपने संदेश में उन्होंने बताया कि विश्वभर में जलवायु परिवर्तन और मानवजनित कारणों से आपदाओं की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिसके लिए वैश्विक स्तर पर ठोस रणनीति की आवश्यकता है। केंद्रीय मंत्री जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तावित 10 सूत्रीय कार्यक्रम को विश्वभर में सराहनीय समर्थन प्राप्त हुआ है, जो भारत की नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोलिजन फॉर डिजास्टर रेसिलेन्स इंफ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआई) जैसा वैश्विक संगठन बना है जो आपदा जैसे विषयों पर उत्कृष्ट कार्य कर रहा है।

यादव ने कहा कि “सिल्क्यारा विजय अभियान” ने यह सिद्ध किया है कि कठिन परिस्थितियों में मजबूत इच्छाशक्ति, कुशल नेतृत्व और वैज्ञानिक दक्षता असंभव को संभव बना सकती है। यह अभियान विश्वभर के देशों के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाने हेतु विज्ञान एवं तकनीक आधारित आपदा न्यूनीकरण, पूर्वानुमान और पूर्व-तैयारी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। आधुनिक तकनीकों, अनुसंधान एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही भविष्य की आपदाओं से समुचित रूप से निपटा जा सकता है।

अपने सम्बोधन के अंत में  यादव ने आशा व्यक्त की कि इस सम्मेलन से निकलने वाले विचार, शोध और सुझाव भारत सहित पूरे विश्व के लिए लाभकारी सिद्ध होंगे तथा बहु-आपदा केंद्रित रणनीतियों के विकास में मार्गदर्शक की भूमिका निभाएँगे। उन्होंने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए आयोजकों एवं सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ भी दीं।