श्रीनगर : शैलनट संस्था की पहल पर श्रीनगर गढ़वाल के भगवान कटकेश्वर (घस्यामहादेव) मंदिर प्रागण से बैठकी होली का आयोजन शुरू हो गया है। आज मंहत महेश गिरी व पंडित अभिषेक बहुगुणा ने विधिवत पूजा अर्चना के साथ कटकेश्वर महादेव मंदिर से बैठकी होली का शुभारंभ किया गया। जिसमें नगर भर के रंगकर्मी एवं होल्यारों ने प्रतिभाग कर पारंपरिक होली के गीत गाये। बैठकी होली की बात करें तो यह मूलरूप से कुमाऊं में मनाई जाती है। कुमाऊं में करीब तीन महीने पहले से बैठकी होली शुरू हो जाती है और होलिका दहन तक जारी रहती है। श्रीनगर में भी बैठकी होली परम्परा लम्बे समय से चली आ रही है। बैठकी होली में अलग-अलग समय में अलग-अलग राग हारमोनियम और तबले के साथ गाए जाते हैं। अधिकतर गीत हमारे धार्मिक महाकाव्यों रामायण, महाभारत और पुराणों में कही गई कहानियों को बयां करते हैं | ये गीत ब्रज भाषा, खडी बोली और कुमाऊँनी भाषा का मिश्रण है| हर गीत का अपना समय और राग-ताल है। होली गाने वालों को ‘होल्यार’ कहते हैं|
आज बैठकी होली में बीरेंद्र रतुडी, सुभाष पाण्डेय, संजय पाण्डेय, विमल बहुगुणा, त्रिलोक थपलियाल, कमलेश जोशी, गणेश बलुनी, अमित रावत, जय कृष्ण पैन्यूली, दीपक कुमार व शंशाक जमलोकी ने होली गीत गाकर रंग जमाया। इनमे से कुछ गीत निम्न प्रकार हैं।
जै गणपति वन्दन गणनायक।
नहि आये बलम कहाँ अटके।
हाँ मोहन गिरधारी।
हरा फ़ूलों से मथुरा छाई रहे।
खोला किवाड़ चला मठ भीतर।
केलें बांधी चीर हो रघुनंदन राजा।
खोला किवाड़ चला मठ भीतर।
भोले भांग तुम्हारी।
भोले होरी खेलो झीनी झीनी अचरवा के पार गोरिये।
चमके चंदा सा मुखड़ा तोहार गोरिये।
कार्यक्रम में श्री कृष्ण उनियाल, विमल बहुगुणा, त्रिलोक थपलियाल, अनूप बहुगुणा, गणेश बलूनी, जय कृष्ण पैन्यूली ओम प्रकाश गोदियाल, जगमोहन कठैत, पदीप अंथवाल, मुकेश काला, कैलाश पुण्डीर, हेम चंद मंमगाई, मनोज कांत उनियाल, पंकज नैथानी, शकर कैनतुला, बलंवत असवाल, उमेश गोस्वामी आदि मौजूद रहे।
बैठकी होली से पूर्व श्रीनगर गढ़वाल के नामचीन होल्यार स्व. उमा शंकर थपलियाल को याद करते हुए श्रीनगर गढ़वाल की सास्कृतिक विरासत में उनके अहम भूमिका के लिए उनका आभार प्रकट किया गया।