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श्रीनगर गढ़वाल: इस वर्ष श्रीनगर गढ़वाल में 10 नवम्बर से बैकुण्ठ चतुर्दशी मेले का आयोजन किया जा रहा है। सामान्यतः दीपावली तिथि से 14वें दिन बाद आने वाला बैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व हिन्दू समाज का महत्वपूर्ण पर्व है। इसके साथ ही 10  नंवबर को रात्रि जागरण, मंडाण, भजन-कीर्तन व निःसन्तान दम्पत्ति “खड़ दिया” अनुष्ठान करेंगे। बैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व पर श्रीनगर गढ़वाल स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर में होने वाली “खड़ दिया” पूजा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अब तक देश के विभिन्न हिस्सों से करीब 170 से अधिक निसंतान दंपतियों द्वारा मंदिर समिति के पास अपना पंजीकरण करवाया जा चुका है। आदिकाल से चली आ रही मान्यता के अनुसार कमलेश्वर महादेव मंदिर में वैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व पर पुत्र प्राप्ति की कामना हेतु निसंतान दम्पत्ति हाथ में जलता हुआ दीपक व पूजन सामग्री लेकर रातभर खड़े रहकर भगवान भोलेनाथ की आराधना करते हैं। जिससे उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

“खड़ दिया” पूजा के अलावा वैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व पर नगरपालिका परिषद श्रीनगर द्वारा स्थानीय जीएंडटीआई ग्राउंड में लगभग 5-6 दिनों तक व्यापक खेलकूद प्रतियोगिताओं व स्थानीय संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

प्राचीन काल से ही ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से श्रीनगर गढ़वाल का अपना विशिष्ट महत्व रहा है। यह नगर साधको की साधना स्थली और संस्कृति प्रेमियो की सांस्कृतिक नगरी के नाम से जानी जाती रही है। इसी कारण इस नगरी की महत्ता को देखते हुये राजा-महाराजाओ ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। श्रीनगर की औलोकिक सुन्दरता भी अपने आप मे आकर्षकता का केन्द्र बिन्दु रही है। यहाँ पुरातन काल से ही धार्मिक समागम होते रहे हैं। यह स्थान देवताओं की नगरी भी रही है। श्रीनगर स्थित कमलेश्वर शिवालय में भगवान विष्णु ने तपस्या कर सुदर्शन-चक्र प्राप्त किया तो श्री राम ने रावण वध के उपरान्त ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति हेतु कामना अर्पण कर शिव जी को प्रसन्न किया व पापमुक्त हुए। श्रीनगर में प्राचीन काल से ही बैकुन्ठ चतुर्दशी पर्व पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

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