SON MURDERED HIS FATHER in Delhi: उत्तरी दिल्ली के तिमारपुर इलाके में गुरुवार देर शाम एक दुखद घटना घटी, जहाँ 26 वर्षीय युवक ने मामूली विवाद में अपने 60 वर्षीय पिता की गोली मारकर हत्या कर दी। परिवार मूल रूप से उत्तराखंड का रहने वाला था.

मिली जानकारी के मुताबिक गुरुवार शाम करीब 7:30 बजे उत्तरी दिल्ली के तिमारपुर में एमएस ब्लॉक के पास इलाके में गश्त कर रहे पुलिसकर्मियों ने गोली चलने की आवाज सुनी और जैसे ही मौके पर पहुंचे तो वहां एक व्यक्ति खून से लथपथ पड़ा था और स्थानीय लोग आरोपी युवक से बंदूक छीनने की कोशिश कर रहे थे। स्थानीय लोग घायल को HRH अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृतक की पहचान 60 वर्षीय सुरेंद्र सिंह के रूप में हुई, जो कुछ समय पहले ही CISF से सेवानिवृत्त हुए थे।

टेंपो में आगे की सीट पर बैठने को लेकर हुआ विवाद

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मृतक सुरेन्द्र सिंह मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले थे। वे 6 महीने पहले CISF (उप निरीक्षक) के पद से रिटायर्ड हुए थे। और तिमारपुर में अपने परिवार के साथ सरकारी आवास में रह रहे थे। रिटायरमेंट के बाद अब उनका परिवार उत्तराखंड में अपने पैतृक गांव में शिफ्ट होने की तैयारी कर रहा था।

गुरुवार शाम को सुरेंद्र सिंह ने उत्तराखंड जाने लिए एक टेंपो किराए पर लिया, उसमे सारा सामान लोड किया जा रहा था। इसी दौरान सुरेंद्र और उनके 26 वर्षीय बेटे दीपक के बीच टेंपो की आगे की सीट पर बैठने को लेकर बहस हो गई। सुरेंद्र सिंह का कहना था कि भारी सामान होने के कारण वह आगे बैठेंगे, लेकिन यह बात दीपक को पसंद नहीं आई। वह अपने पिता से बहस करने लगा। बहस धीरे-धीरे झगड़े में तब्दील हो गई और दीपक ने गुस्से में आकर पिता की ही लाइसेंसी बंदूक निकाली और कथित तौर पर गोली मार दी। गोली सुरेंद्र सिंह के बाएं गाल पर लगी, जिससे उनके चेहरे पर कई छर्रे लगे। जिसके बाद अस्तपाल में उन्हें मृत घोषित कर दिया।

इस सनसनीखेज घटना के बाद पुलिस ने मौके से आरोपी को गिरफ्तार कर उसकी पिता की लाइसेंसी बंदूक और 11 जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है और मामले की विस्तृत जांच जारी है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आरोपी की मानसिक स्थिति कैसी थी और क्या पहले भी परिवार में ऐसे तनाव की घटनाएं हुई थीं। यह घटना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि पारिवारिक मूल्यों पर भी एक गहरा आघात है।