उत्तराखंड में तदर्थ शिक्षकों की वरिष्ठता के विवाद में शिक्षा विभाग लोक सेवा अभिकरण के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में विशेष अपील (एसएलपी) दायर करने जा रही है। अधिकरण ने यूपी सरकार के वर्ष 1995 के एक आदेश के आधार पर 1989-90 के दौरान नियुक्त तदर्थ शिक्षकों को उनकी नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता का लाभ देने के आदेश दिए हैं। जबकि इन शिक्षकों की मौलिक नियुक्तियां वर्ष 1999 और उसके बाद हुई हैं।
ट्रिब्यूनल के इस फैसले के खिलाफ सरकार ने एसएलपी करने की मंजूरी दे दी है। शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि इस दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी गई है। सरकार के फैसले से जहां तदर्थ शिक्षकों को झटका लगा है वहीं सीधी भर्ती के पदों पर नियुक्त शिक्षकों ने राहत की सांस ली है। इस विवाद की वजह से शिक्षा विभाग के हजारों शिक्षकों की वरिष्ठता प्रभावित हो रही है।
यह है मामला
सरकार ने 1995 में तदर्थ पर रूप से नियुक्त शिक्षकों को 1 अक्टूबर 1990 से विनियमित करने का निर्णय लिया था। इस आदेश के तहत शिक्षकों को वर्ष 2000 तक मौलिक नियुक्तियां दी गई। जबकि तदर्थ शिक्षक 1990 से वरिष्ठता की मांग रहे हैं। इसबीच वर्ष 2011-12 के दौरान तत्कालीन शिक्षा सचिव मनीषा पंवार ने तदर्थ शिक्षकों की वरिष्ठता की मांग खारिज कर दी थी। इस मामले में दोबारा लंबी सुनवाई के बाद सरकार जुलाई 2019 को तदर्थ शिक्षकों को वरिष्ठता देने को मान गई। इस आदेश के तहत शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने वरिष्ठता सूची भी जारी कर दी।
परन्तु लोक सेवा आयोग से सीधी भर्ती से नियुक्त शिक्षकों के विरोध पर अभिकरण ने इस मामले की दोबारा सुनवाई करने को कहा, तो सरकार ने फैसला बदल दिया। 13 जुलाई 2021 को शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने पुराना फैसला पलटते हुए 1990 से वरिष्ठता देने वाले फैसले पर रोक लगा दी। उन्होंने कहा कि 1990 से वित्तीय लाभ तो दिए जा सकते हैं पर वरिष्ठता नहीं।
21 अप्रैल को लोक सेवा अधिकरण ने इस मामले में सरकार के फैसले को गलत मानते हुए 3 माह में निस्तारण को कहा था। शिक्षा विभाग ने यूपी सरकार के 1995 के आदेश की तलाश में एक टीम यूपी भेजी। पर वहां वो आदेश उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। साथ ही इस आदेश पर लिखे उत्तराखंड शब्द से भी सरकार हैरान है।
सीधी भर्ती से नियुक्त शिक्षकों का कहना है कि तदर्थ शिक्षकों को भले ही अन्य लाभ दे दिए जाएं, लेकिन सीनियिरटी नहीं दी जानी चाहिए। इससे राज्य के 15 हजार शिक्षकों की वरिष्ठता सीधा सीधा प्रभावित होगी।
शिक्षा विभाग द्वारा विशेष अपील दायर करने पर राजकीय शिक्षक संघ संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक ओम प्रकाश कोटनाला एवं सदस्य पूर्व मंडलीय प्रवक्ता महेंद्र सिंह नेगी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उम्मीद जताई है कि जल्द ही वरिष्ठता विवाद सुलझेगा। ओर वर्षों से रिक्त हाई स्कूल प्रधानाध्यापक पदों पर पदोन्नति हो सकेगी। जिससे पूर्णकालिक प्रधानाध्यपक होने से विद्यालयों में बेहतर शैक्षिक उन्नयन होगा।