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“वीं केदार आपदा मा कैकि त चलीगिन मवासी, अर क्वी बगदा पाणि मा सेठ ह्वे ग्येन”।

श्रीनगर गढ़वाल: आप सब्यूं तैं प्रणाम आप लोगूं कि शुभकामना से ब्याळि ऐतवार(रविवार) खुणी ब्यखुनि दां “अवकाश प्राप्त कर्मचारी संगठन” का सभागार (न.पा.परिषद का नजदीक) मा “आखर” कु गढ़वाळि कवयित्री सम्मेलन ह्वे। जै मा आठ कवयित्रियूंन अपणि गढ़वाळि कवितौं का माध्यम से पहाड़,  पलायन अर समाज मा अबरि होण वळि छ्वीं-बत्थों तैं भली करी बिंगै।  आज का ये कार्यक्रम कि सैरी जिम्मेदारी यानि संयोजन, संचालन अर हौरि सब छ्वीं-बत्थूं कि जिम्मेदारी “आखर” कि महिला सदस्यूं कि छै। कार्यक्रम कु संयोजन/संचालन डॉ. कविता भट्ट जीन् करी।

“आखर” कु यु कवयित्री सम्मेलन ये मामला मा अलग छौ कि यु श्रीनगर गढ़वाल मा पैलि बार हूण वालु विशुद्ध गढ़वाळि कवयित्री सम्मेलन छौ। मुख्य अतिथि का रूप मा प्रखर वक्ता, सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकारों से जुड़ीं अर अपणि माटि, अपणि  मातृभाषा गढ़वाळि से दिल कि गैराईयूं से जुड़ीं हे.न.ब.गढ़वाळ (केन्द्रीय) विश्व विद्यालय कि परम सम्मानित प्रो. सुरेखा डंगवाल जी, कार्यक्रम अध्यक्षा का रूप मा प्रसिद्ध लेखिका/ मंच संचालक श्रीमती उमा घिल्डियाल जी अर विशिष्ट अतिथि का रूप मा रिजनल रिपोर्टर कि श्रीमती गंगा असनोड़ा जी कि गरिमामय उपस्थिति  मा यो कार्यक्रम ह्वे| मुख्य अतिथि प्रो. सुरेखा डंगवाल जीन् “आखर” का ईं पहल कि बढ़ै कैरिक बोलि कि “माँ, माटि अर मातृभाषा का प्रति संवेदना होण भौत जरूरी च”।

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कवयित्री सम्मेलन कु संचालन आरती पुंडीर जीन् करी। जै मा सबसे पैलि डॉ. कविता भट्ट जीन “ब्वे” पर काव्य पाठ करीक “ब्वे” कि संवेदना तैं उजागर इन करी-

“दूर धार मा रगर्यांदि आाँख्यूं को रगर्याट,
मेरा पेट मा पळणै खुसी को फफराट,
अगर मी लेखि सक्दू त सैद मि लिख्वार बणी जांदू “।

आरती पुण्डीर जीन् य कविता सुणै।
“मि तुमारू उजास छौं,मि तुमारू अगास छौं,
आसा-निरासा का बौण मा, मि तुमारू विश्वास छौं”

अनीता काला जीन् पारिवारिक बदलदा हालात पर कविता बांचि-
“तेरी बरसों बटि याद आयि मां, जब नौनूंन मि भैर धक्यायि मां”

नै छ्वाळि कि कवयित्री प्रियंका नेगी न् फैशन पर कविता सुणै-
“कन्क्वै भारत महान लेखुं”
“फैशन ह्वेग्ये आज जब
क्या ब्वन्न छुछौं चुप रावा तब”
सुणैकि सुणदीरों तैं खूब हैंसै।

सरिता चंदोला जीन् बि कै मंच पर पैलि बार काव्य पाठ करी। सरिता चंदोला जीन् “माया” पर कविता सुणै-
“त्येरी मायान जिकुड़ि मा, मरीं च इन अंग्वाळ,
ब्यखुनि-फजल मनौणू छौं, बिन त्यौहार बग्वाळ.
रै-रै कि याद तेरी औणी, जन दूधै सि उमाळ…”।

रेखा रावत जीन् पलायन पर कविता इन सुणै-
“भैर तुमुन कोठि बणैयालि
कैन फ्लैट बि खरीद्यालि
अच्छी बात च… पर, दिदा …”।

कुसुमलता मंमगाईं जीन् “केदार आपदा” पर कविता इन सुणै–
“वीं केदार आपदा मा इना बि दिन रैन, कैकि त चलीगिन मवासी,
अर क्वी बगदा पाणि मा सेठ ह्वे ग्येन”।

साईनी उनियाल जीन् उत्तराखण्ड पर कविता बांचि कि-
“उत्तराखण्ड का वासी छां हम, उत्तराखण्ड हमारू च”।

कुल मिलैकि सुणदरोंन रचनौं तैं खूब पसंद करी किलैकि ये मा रचना तरौं कि छै। रचनौं मा संवेदना छै त व्यंग बि छौ, यख माया कि बात छै,  पलायन को दर्द छौ, बदलदा रीति-रिवाज अर अबारि जु होणू समाज मा वांकि छ्वीं-बत्थ बि छै। विशिष्ट अतिथि गंगा असनोड़ा जीन् ये कवयित्री सम्मेलन कि समीक्षा करी।

“आखर” का ये कार्यक्रम मा अध्यक्ष संदीप रावत, उपाध्यक्ष श्रीमती अनीता काला, सचिव राकेश मोहन कण्डारी,  सह सचिव अर प्रचार सचिव श्रीमती अंजना घिल्डियाल, कोषाध्यक्ष- श्रीमती संगीता फरासी, मीडिया प्रभारी श्रीमती अमीषा भट्ट अर राकेश जिर्वान,  संरक्षक डी.पी.खण्डूड़ी जी,  माँ फाउंडेशन का सचिव सत्यजीत खंडूड़ी, मुकेश काला, प्रभाकर बाबुलकर, शम्भू प्रसाद स्नेहिल, डॉ. प्रदीप अंथवाल, अखिलेश चन्द्र चमोला, संजय कुमार फौजी, सुबोध हटवाल, दिलवर रावत, बृजमोहन सजवाण, श्रीकृष्ण उनियाल (हिन्दुस्तान दैनिक), श्रीमती आभा काला जी, श्रीमती नीलम बिष्ट, देवेन्द्र उनियाल, पंकज नेगी का दगडा श्रीनगर का शैक्षिक, साहित्यिक, कला अर रंगमंच, सामाजिक सरोकारों से जुड्यां लोगूं कि गरिमामय उपस्थिति छै।