पिथौरागढ़: उत्तराखंड के कुमांऊ क्षेत्र के चंपावत जनपद में स्थित देवीधुरा के मंदिर के प्रांगण में रक्षाबंधन के दिन ऐतिहासिक और पारंपरिक लोक त्यौहार बग्वाल मनाया जाता है। देवीधुरा के मंदिर में बारही देवी को प्रसन्न करने के लिये रक्षाबंधन के दिन मनाये जाने वाले इस अनोखे पारंपरिक लोक त्यौहार (बग्वाल) में पत्थर फेंकने का खेल खेलकर लहू बहाये जाने की परंपरा है। हर साल रक्षाबंधन के दिन श्रावण की पूर्णिमा पर आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग बारही देवी को प्रसन्न करने के लिए देवीधुरा के मंदिर के प्रांगण में इकट्ठे होकर एक-दूसरे पर पत्थर फेंककर बग्वाल मनाते हैं। मान्यता है कि जब खेल के दौरान एक मानव बलि के बराबर लहू बहाया जाए तभी देवी प्रसन्न होती हैं। पत्थर फेंकने के इस खेल को देखने के लिए आसपास के गांवों के हजारों लोग आते हैं। पत्थर फेंकने का यह खेल केवल 10 मिनट के लिए होता है। इस दौरान सैकड़ों लोग घायल हो जाते हैं।
हालाँकि वर्ष 2013 में नैनीताल हाईकोर्ट ने इस खेल में पत्थरों का इस्तेमाल ना करने के आदेश दे दिए थे। तभी से इस खेल में पत्थरों की जगह फूलों और फलों का इस्तेमाल करने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। परन्तु अभी भी यहाँ पुरानी परम्परा जारी है।
आज बृहस्पतिवार को भी रक्षाबंधन पर कुमांऊ के चंपावत जनपद स्थित देवीधुरा के मंदिर के प्रांगण में ऐतिहासिक बग्वाल खेली गई। बग्वाल में चार खाम और सात थोकों रणबांकुरों ने प्रतिभाग किया। बग्वाल युद्ध का नजारा देखने के लिए देश विदेश से लोगों का पहुंचे। सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी संख्या में पुलिस व पीएसी के जवानों की तैनाती कर दी गई है। करीब दस मिनट तक चले पत्थरबाजी के इस युद्ध में 120 से ज्यादा योधा घायल हुए। जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। ऐतिहासिक बग्वाल त्यौहार को देखने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और सांसद अजय टम्टा, स्थानीय विधायक पूरन सिंह फर्त्याल सहित सैकड़ों लोग शामिल रहे।
Uttarakhand: ‘Bagwal’ stone pelting festival held in Champawat, part of a ritual to appease a local deity. More than 120 people injured. The festival is held every year at the temple of goddess Barahi on the occasion of #RakshaBandhan. pic.twitter.com/bU0lKODXt3
— ANI (@ANI) August 15, 2019