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देहरादून: उत्तराखंड के पढ़े लिखे युवा आज अपनी जन्मभूमि को अधिक महत्त्व देने लगे हैं इसके लिए वे आधुनिक सुविधाओं से लेस नौकरियों को छोड़ अपने गांव या उसके आसपास ही रोजगार के संसाधन तलाश कर खुद तो कुछ नया कर ही रहे है साथ ही वहां के युवाओं को भी रोजगार उपलब्ध करा रहे है। ऐसे ही एक युवा हैं “सुभाष रतूड़ी” जो कुवैत में एक अच्छी नौकरी करते थे, किन्तु अपने गांव और यहाँ के लोगो का मोह उन्हें वापिस अपने देश खींच लाया। सुभाष ने स्वदेश लौटकर अपने प्रदेश की राजधानी देहरादून के सर्वे चौक पर “न्यू दून स्पाइस” नाम से एक रेस्टोरेंट खोला है। जिसमें वो उत्तराखंड के उत्पादों से नए नए किस्म की खाने-पीने की वस्तुएं इजात कर रहे हैं। बहुत ही कम समय में उसके द्वारा तैयार मंडवे के मोमोस एवं मंडवे के फ्लेवर वाली कॉफी देहरादून में काफी प्रचलित हो गई है।

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सुभाष रतूड़ी यहीं आकर नहीं रुकते है बल्कि उनके दिमाग में बहुत कुछ प्लान है। वे कहते हैं कि मै उत्तराखंड के चमोली जिले के सिरगाड़ गांव से हूँ और भविष्य में अपने गांव में ही कुछ व्यवसाय करके कई युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करूँगा। उनके मुताबिक हमारे गांवों में हमारी इतनी जमीन है तो क्यों न हम उनका उपयोग करें। बाहर रहकर हम जो किराया एडवांस में देते है उससे हम अपने ही गांव व् उसके आस पास एक नई चेतना ला सकते हैं। ऐसे ही युवाओं की आज उत्तराखंड को आवश्यकता है जो कि अपनी सोच व् मेहनत से खली पड़े गांवों को फिर से रोशन कर सकते हैं।

रिपोर्ट द्वारिका चमोली