Uttarakhand Land Law: उत्तराखंड में मूल निवास 1950 और सख्त भू-कानून की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। मूल निवास और भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के आह्वान पर रविवार को सुबह 10 बजे सेआईडीपीएल हॉकी मैदान में लोग एकत्रित होने लगे। करीब 11 बजे तक मैदान लोगों से भर गया। करीब 11 बजकर 40 मिनट पर आईडीपीएल मैदान से ढोल-नगाड़ों के बीच रैली निकली। जो सिटी गेट, हरिद्वार मार्ग, कोयलघाटी, लोनिवि तिराहा होकर त्रिवेणीघाट पहुंची। रैली में युवा और महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंची।
संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी नेकहा कि यह राज्य के मूल निवासियों के अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ाई है। उनके संसाधनों और रोजगार को सुरक्षित करने की मुहिम है। अभी तक इन मुद्दों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। इस लिये वह इस अभियान में शामिल होकर अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करना चाहते हैं। राज्य सरकार को चाहिए कि वह अपने राज्य की जरूरतों के हिसाब से भू-कानून तैयार करे। भू-कानून में राज्य मेंसभी प्रकार की कृषि एवं बागवानी की भूमि की खरीद फरोख्त और लीज पर देने की प्रक्रिया पर पूर्णत: रोक लगनी चाहिए। इसके अलावा कृषि एवं बागवानी की भूमि के भू-उपयोग परिवर्तन पर भी स्थायी रूप से रोक लगे। समिति महासचिव प्रांचल नौड़ियाल ने कहा कि महारैली से सरकार को भी सशक्त भू-कानून और मूल निवास लागू करने का मजबूत संदेश गया है। रैली में बड़ी संख्या में शामिल होकर लोगों ने साफ संदेश दिया है कि अब राज्य की जनता खामोश रहने वाली नहीं है।
ठेठ पारंपरिक वेशभूषा में दिखी महिलाएं
रैली में ज्यादातर महिलाएं उत्तराखंड की पारंपरिक वेशभूषा में प्रदशर्न और नारेबाजी करती हुई दिखाई दीं। त्रिवेणी घाट तक निकली स्वाभिमान महारैली में अलग अलग समूह ने महिलाएं एक ही रंग की साड़ी अथवा परम्परागत पोशाक में दिखी। वहां त्रिवेणी घाट पर लोगों ने पवित्र गंगा जल हाथ में लेकर अपनी मांगों के संबंध में लड़ाई जारी रखने का संकल्प भी लिया। रैली में उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों के पहनावे और लोक संस्कृति के रंग भी खूब दिखे। स्वाभिमान महारैली में आई समाजसेवी कुसुम जोशी ने बातचीत के दौरान कहा कि जिन तीन मांगों को लेकर लगातार उत्तराखंड के लोग आवाज बुलंद कर रहे हैं, वो यहां के अस्तित्व और अस्मिता की रक्षा के लिए नितांत जायज मांगे हैं, लेकिन सरकार उन पर ध्यान देने को तैयार नहीं है। उनका कहना था कि ये सवाल राज्य स्थापना के समय ही सुलझा लिए जाने थे लेकिन राष्ट्रीय दलों ने अपने एजेंडे के चलते इन बुनियादी सवालों को उलझाए रखा। इसी का नतीजा है कि प्रदेश की अस्मिता के लिए संवेदनशील युवा राज्य के विभिन्न शहरों में स्वाभिमान महारैली का आयोजन करते आ रहे हैं।
भू–कानून रैली में लोग स्वेच्छा से शामिल हुए
एक और खास बात यह रही कि रैली जितनी अनुशासित थी, उतनी ही व्यवस्थित भी थी। लोग स्वेच्छा से इसमें शामिल हुए और अपने खर्च पर आए। संसाधन संपन्न राजनीतिक दल ऐसे आयोजन के लिए जितना पैसा झोंकते हैं, जितना प्रचार प्रसार पर खर्च करते हैं उसकी तुलना में बिना खर्च के मोहित जैसे युवाओं ने प्रदेश की जनता को एकसूत्र में जोड़ कर सत्ता प्रतिष्ठान को आईना दिखा दिया है। पत्रकारों के समूह में रैली के दौरान यह चर्चा थी कि बॉबी पंवार के बाद मोहित के रूप में प्रदेश को नया नेता मिल गया है जो जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम दिख रहा है।