श्रीनगर गढ़वाल : नव वर्ष के शुभ अवसर पर राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित बाल प्रतिभा सम्मान समारोह परिषद के संयोजक अखिलेश चंद्र चमोला द्वारा अवकाश प्राप्त कर्मचारी संगठन कार्यालय में बाल प्रतिभा के उन्नयन के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि श्रमजीवी पत्रकार यूनियन देहरादून के अध्यक्ष चंद्रवीर गायत्री द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस दौरान साहित्यकार श्वेता बिष्ट द्वारा माँ सरस्वती की स्वरचित वन्दना का गायन किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि चन्द्रवीर गायत्री ने कहा कि बाल प्रतिभाएं राष्ट्र की धरोहर है, बाल प्रतिभाओ की खोज करके उनकी प्रतिभा को मंच देकर उन्हें सम्मानित करना उत्कृष्ट मुहिम को दर्शाता है। इनका सम्मान करना राष्ट्र का सम्मान है। निसंदेह शिक्षक चमोला की पहल अनुकरणीय है।

विशिष्ट अतिथि राज्य आंदोलनकारी उमेद सिंह मेहरा ने कहा कि बाल प्रतिभाओं के संदर्भ में कार्यशाला का आयोजन करना उचित चिंतन को दर्शाता है। वर्तमान समय में इस तरह की कार्य शालाओँ की नितान्त आवश्यकता है। इस तरह के कार्यक्रमों से समाज मेँ अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलती है। वहीँ कार्यक्रम आयोजक अखिलेश चन्द्र चमोला ने कहा वर्तमान समय प्रतियोगिता का है। इस तरह के कार्यक्रमों से छात्रोँ मेँ आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। कार्यशाला मेँ शिक्षक महेन्द्र सिंह नेगी, राकेश मोहन कन्डारी, बीना मेहरा, प्रेमलता कालडा आदि शिक्षाविदोँ ने भावी पीढी को संस्कारवान बनाने पर जोर दिया।

इस मौके पर बाल प्रतिभाओ में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त छात्र राजेश चन्द्र की चित्रकला प्रदर्शनी को दर्शकों ने खूब सराहा। सम्मान समारोह में विशिष्ट पहचान बनाने वाले बाल प्रतिभा शाली राजेश चंद्र, काजल, सपना भंडारी, हेमा आदि को बाल प्रेरणा सम्मान से पुरस्कृत किया गया। साथ ही शिक्षा, पर्यावरण, साहित्य सृजन तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले श्वेता बिष्ट, बीना मेहरा, रूपाली वशिष्ठ, आशा डिमरी, महेंद्र सिंह नेगी, राकेश मोहन कंडारी, मनमोहन सेँधवाल, प्रदीप रावत, उत्तम सिंह, अमित कन्डारी आदि को प्रमाण पत्र, स्मृति चिन्ह, मेडल, पुष्प माला व शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का सँचालन प्रसिद्ध साहित्यकार श्वेता बिष्ट द्वारा किया गया। वृक्ष मित्र प्रदीप रावत व गबर सिंह भंडारी द्वारा अतिथियों को पौध भेँट की गई। कार्यक्रम सँयोजक अखिलेश चन्द्र चमोला द्वारा सभी को नशा न करने की प्रतिज्ञा भी दिलाई गई।