श्रीनगर गढ़वाल: जब इंसान के अंदर कुछ करने का जज्वा होता है, तो वह असंभव कार्य को भी संभव कर देता है। हर प्रकार की सफलता उसे सुगम लगने लगती है। इसी तरह का उदाहरण राजकीय इंटर कॉलेज सुमाडी में हिन्दी अध्यापक के पद पर कार्यरत अखिलेश चन्द्र चमोला ने प्रस्तुत किया है। उल्लेखनीय है कि शिक्षक अखिलेश चन्द्र चमोला विगत कई वर्षोँ से अपने विषय का शतप्रतिशत व गुणवत्ता परक परीक्षा परिणाम दे रहे हैं।
अपने शैक्षिक कार्यो के अतिरिक्त, बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, हमारा प्रयास शिक्षा का विकास, दुल्हन ही दहेज है, नशा उन्मूलन, ग्रामीण आंचलिक में अध्ययनरत बोर्ड परीक्षार्थियोँ को विगत 22 वर्षोँ से अपने निजी खर्चे में भव्य कार्यक्रम आयोजित सम्मानित करते रहते हैं। यही नहीं भावी पीढी को नशे से दूर रहने के लिए, उनसे संकल्प पत्र भरवा कर जीवन में कभी भी किसी प्रकार का नशा न करने की प्रतिज्ञा भी दिलाते रहते हैं। इनका उद्देश्य हमारा संकल्प नशा मुक्त समाज का निर्माण करना है। नशे के सन्दर्भ में चमोला की इस तरह की उत्कृष्ट मुहिम को देखते हुए शिक्षा विभाग ने इन्हें नशा उन्मूलन प्रभारी का दायित्व भी दिया है। उनके द्वारा लिखित प्रतिज्ञा का सप्ताह में एक दिन प्रार्थना सभा में सस्वर वाचन किया जाता है। शिक्षक चमोला बच्चों में भारतीय संस्कृति के बीजरोपित करने के लिए प्रेरणा दायिनी साहित्य का भी सृजन करते रहते हैं। उनके द्वारा लिखे गये प्रेरक प्रसंग विभिन्न राष्ट्रीय सँकलनो में प्रकाशित हो चुके हैं। लाँकडाउन की अवधि में अपने ऑनलाइन अध्यापन के साथ ही छात्रोपयोगी शैक्षिक नवाचार एवम क्रियात्मक शोध नामक पुस्तक लिखी। जिसमे अभिभावको का अपने पाल्योँ के प्रति क्या कर्तव्य है। तथा बच्चों को अच्छे अँक प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए गये है। पुस्तक छात्रों को निशुल्क वितरित की जा रही है। जिससे वे किसी भी तरह से भयभीत न हों, और पुस्तक से उनका समुचित मार्गदर्शन हो सके।
चमोला अपने विद्यार्थी जीवन से ही मेधावी छात्र के रूप में रहे हैं। कला निष्णात में सर्वोच्च अँक प्राप्त करने पर 1996 मेँ केन्द्रीय विश्व विद्यालय श्रीनगर द्वारा इन्हें स्वर्ण पदक सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। निरन्तर शिक्षा के क्षेत्र में नये-नये अनुप्रयोगोँ के आधार पर इन्हें राज्यपाल पुरस्कार, मुख्यमंत्री सम्मान, आदर्श उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान, शिक्षक श्री सम्मान, शिक्षक साहित्यकार सम्मान, विक्रम शिला हिन्दी पीठ गाँधीनगर द्वारा पीएचडी तथा डीलिट मानद उपाधि से भी सम्मानित हो चुके हैं। 2015 में अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष शोध संस्थान द्वारा डाक्टर आफँ ऐस्ट़ोलाँजी की मानद उपाधि से भी इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। साहित्य में महत्वपूर्ण सृजन करने पर साहित्य वाचस्पति, साहित्य सागर, अटल विहारी वाजपेई सम्मान, भारत गौरव रत्न, साहित्य वारिधि, साहित्य महोपाध्याय, साहित्य जगत के शिलालेख, हिमालय हिन्दुस्तान गौरव, साहित्य जगत के स्वर्ण स्तम्भ आदि अनेको सम्मानोपाथियो से सम्मानित हो चुके हैं। इनके द्वारा लिखे गये प्रेरक प्रसंग विभिन्न राष्ट्रीय सँकलनो में प्रकाशित हो चुके हैं। लाँकडाउन की अवधि में आँनलाइन शैक्षिक कार्य करने के साथ ही छात्रोपयोगी शैक्षिक नवाचार एवम क्रियात्मक शोध नामक पुस्तक लिखी गई, जिसमें अभिभावको के अपने पाल्योँ के प्रति क्या कर्तव्य हैं। छात्रों को अच्छे अँक प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स दिये गए हैं। पुस्तक की प्रति छात्रों को निशुल्क वितरित करके उन्हें अपने अध्ययन के प्रति जागरूक करने का यथोचित प्रयास किया जा रहा है।
चमोला की इस तरह की शैक्षिक, साहित्यिक तथा सामाजिक उपलब्धियोँ का आकलन करते हुए काइट्स क्राफ्ट प्रोडक्शन इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा आगामी 19-20 दिसम्बर को उन्हें इन्टरनेशनल एजुकेशन अवार्ड 2020 से सम्मानित किया जायेगा। इस अवार्ड के लिए देश-विदेश के 100 शिक्षकों की चयनित सूची में उत्तराखंड से शिक्षक चमोला का नाम भी शामिल है। यह संस्था प्रत्येक वर्ष शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रोफेसर, प्रधानाचार्य, व शिक्षकों का चयन अकादमिक परिषद द्वारा करती है। इस चयन पर श्री चमोला ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयन होना अपने आप में गौरव का विषय है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि भावी पीढी के सन्दर्भ में बहुत बड़ी जिम्मेदारी को दर्शाता है। चमोला की विशिष्ट उपलब्धियोँ को देखते हुए बिक्रम शिला हिन्दी विद्यापीट गाँधी नगर द्वारा इन्हें विद्वत परिषद् मे भी मनोनीत किया गया है। चमोला द्वारा नैतिक बोध कथायेँ, भारतीय संस्कृति तथा नैतिक ऊर्जा के आयाम, क्रियात्मक शोध नामक पुस्तक लिखी गई है।