देहरादून : उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य के राजकीय और अशासकीय विद्यालयों में 10वीं व 12वीं बोर्ड कक्षाओं के छात्रों की सर्दियों की छुट्टियां रद्द करने के फैसले से शिक्षकों में जबरदस्त नाराजगी है। शिक्षकों ने सरकार से छुट्टियां रद्द करने वाले आदेश को शीघ्र निरस्त करने की मांग की है। साथ ही चेतवानी दी है कि यदि उक्त आदेश को शीघ्र निरस्त न किया गया तो शिक्षकों को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा। शिक्षकों की नाराजगी को देखते हुए राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी, महामंत्री डॉ. सोहन सिंह माजिला सहित कई पदाधिकारी शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय से मुलाकात करने गए हैं।
बता दें कि शिक्षा विभाग द्वारा 24 दिसम्बर को जारी आदेश के अनुसार राज्य सरकार ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थियों के लिए शीतकालीन अवकाश रद्द कर दिए हैं। साथ ही सभी जिलों में 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थियों के लिए शीतकालीन अवकाश के दौरान स्कूल खुले रखने और संबंधित शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा गया है। शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण राज्य में स्कूल बंद रहने से विद्यार्थी बोर्ड परीक्षाओं की बेहतर तैयारी न कर सके हैं। अतः विद्यार्थियों को शीतकालीन अवकाश के दौरान सिलेबस पूरा करने तथा बेहतर तैयारी करने की सुविधा देने को लेकर यह निर्णय लिया गया है।
वहीँ शिक्षकों का कहना है कि कोरोना संकट काल में स्कूल जरूर बंद रहे लेकिन शिक्षकों ने घरों से ऑनलाइन पढ़ाई भी कराई है। शिक्षक संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि शीतकालीन अवकाश समाप्त करना शिक्षकों का उत्पीड़न है। अतः सरकार को उक्त आदेश पर पुनर्विचार करना ही होगा।
राजकीय शिक्षक संघ थलीसैंण की ब्लॉक स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए ब्लॉक अध्यक्ष विजेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि शीतकालीन अवकाश पर रोक लगाना शिक्षकों के साथ अन्याय है, जिसका पूरी कार्यकारिणी विरोध करती है।
राजकीय शिक्षक संघ गढ़वाल मण्डल शाखा के अध्यक्ष रवीन्द्र राणा, संरक्षक शिव सिंह नेगी तथा मण्डलीय मंत्री डॉ. हेमंत पैन्यूली का कहना है कि इन दिनों राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में कड़ाके कि ठण्ड एवं मैदानी क्षेत्रों में शीतलहर का प्रकोप है। कई दुर्गम क्षेत्रों में बर्फबारी भी हो चुकी है, साथ ही कोरोना संक्रमण के चलते छात्र भी बहुत कम संख्या में स्कूल में उपस्थित हो रहे हैं। ऐसे में मात्र कुछ शिक्षकों के लिए इस तरह के तुगलकी फरमान का राजकीय शिक्षक संघ घोर विरोध करता है।