sawan ka pahla somvar 2020

कोरोनावायरस से बाजार में छाई निराशा होने लगेगी दूर 16 तारीख से पृथ्वी हो गई है कालसर्प योग से मुक्त

श्रावण सौर मास का पहला सोमवार का व्रत कल रखा जाएगा. इस वर्ष इस दिन सोमवती अमावस्या होने से तथा सौरमंडल में ग्रहों के राजा सूर्य और सेनापति मंगल के बीच नव पंचम योग तथा भोगों के कारक शुक्र तथा पृथ्वी कारक शनि ग्रह के बीच भी नवम पंचम योग बनने से पूरे सावन के महीने में विशेष फलदाई योग बन रहा है.

राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज आईडीपीएल के संस्कृत प्रवक्ता आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने बताया की बहुत वर्षों के बाद ऐसा संयोग बना है कि सावन के पहले सोमवार के दिन अमावस्या तिथि है. कलयुग में सोमवती अमावस्या वैसे भी बहुत फलदाई होती है और यदि सावन के महीने के सोमवार को आ जाए तो अति विशिष्ट योग कहा जाता है. उन्होंने बताया कि यद्यपि चंद्रमास के अनुसार सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू हो चुका था, परंतु सूर्या संक्रांति 16 जुलाई को होने से सौर मास के पहले सोमवार का व्रत कल ही रखा जाएगा.

उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य घिल्डियाल आगे बताते हैं कि सौरमंडल में चल रही ग्रहों की हलचल से पता चलता है कि कोरोनावायरस की वजह से बाजार में छाई हुई निराशा अब धीरे-धीरे दूर होने लगेगी क्योंकि 16 तारीख को पृथ्वी कालसर्प योग से आंशिक रूप से मुक्त हो गई है. 2 अगस्त को सर्दी, जुकाम, खांसी, कफ का कारक ग्रह बुध राहु की पकड़ से बाहर हो जाएगा. जिससे इस वायरस के संक्रमण में कमी आने लगेगी उसका प्रभाव अक्षांश और देशांतर के अनुसार पूरे विश्व के अलग-अलग देशों पर अलग-अलग समय पर दिखाई देगा.

मुख्यमंत्री द्वारा ज्योतिष वैज्ञानिक उपाधि से सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल वैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए बताते हैं कि इस समय सौरमंडल में सूर्य और मंगल जो ग्रहों के क्रमशः राजा और सेनापति हैं एक दूसरे से पंचम और नवम भाव में चल रहे हैं तथा भोगांव का कारक ग्रह शुक्र तथा पृथ्वी का कारक शनि भी एक दूसरे से पंचम और नवम भाव में चल रहे हैं जो बहुत विशिष्ट योग कहा जाता है. इससे इस सावन मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव का विधान पूर्वक पूजन करने वालों को संतान धन यश कीर्ति की प्राप्ति के साथ-साथ विशेष रूप से रोगों से मुक्ति मिलेगी तंत्र-मंत्र और यंत्र की साधना के लिए यह महीना बहुत विशेष हो रहा है.

अपनी जन्म राशि के अनुसार इस प्रकार करें शिव पूजन

मेष : दूधिया जल में काले तिल मिलाकर
वृष : सफेद तिल एवं जल से
मिथुन : जौ एवं तिल मिलाकर कर्क सफेद तिल एवं सफेद फूलों से
सिंह : गुड एवं दूधिया जल से
कन्या : जौ तिल एवं जल से
तुला : सफेद तिल दूध जल से
वृश्चिक : गुड़हल के फूल गुड दूध से
धनु : जौ तिल पीला चंदन मिलाकर
मकर : काले तिल एवं जल से
कुंभ : सफेद फूल तिल जल से
मीन : जौ तिल एवं पंचामृत से