देहरादून : आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस मना रहा है। आज से 22 वर्ष पूर्व वर्ष 1999 में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान द्वारा धोखे से हमला कर हम पर यह युद्ध थोप दिया गया था। जिसका हमारे देश के वीर जवानों ने न सिर्फ डटकर मुकाबला किया बल्कि दुश्मन की सेना को चारों खाने चित कर कारगिल की छोटी पर तिरंगा फहराया दिया। हालाँकि कारगिल युद्ध को जीतने के लिए हमे बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। करीब 2 महीने तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना ने अपने 524 शूरवीर सैनिकों को खोया तो वहीं 1363 सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए। हालाँकि इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के भी लगभग चार हजार जवान मारे गए।
आज कारगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ पर कारगिल युद्ध की वीरगाथा बताने के साथ वीर भूमि उत्तराखंड का जिक्र करना बेहद जरूरी है। देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा ही आगे रहे हैं। इसीलिए उत्तराखंड को देवभूमि के साथ साथ वीरभूमि के नाम से भी पुकारा जाता है। यूँ तो कारगिल विजय के दौरान शहीद हुए सैनिकों में देश के लगभग सभी राज्यों के सैनिक थे। परन्तु इस लड़ाई में सबसे ज्यादा शहादत उत्तराखंड के वीर सपूतों की हुई। इस युद्ध में अकेले उत्तराखंड के 75 सैनिकों ने देश रक्षा में अपने प्राण न्योछावर किए। शहादत का वह जज्बा आज भी पहाड़ भुला नहीं पाया है। ऐसा कोई पदक नहीं, जो इस राज्य के जांबाजों ने न जीता हो। शहीद सैनिको की याद में जहां एक ओर सैकड़ों आंखें नम होती हैं, राज्यवासियों का सीना भी फख्र से चौड़ा हो जाता है।
कारगिल ऑपरेशन में गढ़वाल राइफल्स के 54 जवान शहीद हुए थे। वहीं कुमाऊं रेजीमेंट के भी 16 जांबाज भी शहीद हुए थे।
कारगिल युद्ध में जिलावार शहीद
- देहरादून- 14
- पौड़ी- 13
- टिहरी- 11
- चमोली- 7
- नैनीताल- 5
- पिथौरागढ़- 4
- अल्मोड़ा- 3
- बागेश्वर- 3
- रुद्रप्रयाग- 3
- उधम सिंह नगर- 2
- चंपावत-2
- उत्तरकाशी- 1
अपने अदम्य साहस के लिए पदक से अलंकृत जांबाज सैनिक :
- मेजर विवेक गुप्ता – महावीर चक्र
- मेजर राजेश सिंह भंडारी- महावीर चक्र
- नाइक ब्रिजमोहन सिंह – वीर चक्र
- नाइक कश्मीर सिंह – वीर चक्र
- ग्रुप कैप्टन एके सिन्हा – वीर चक्र
- आनरेरी कैप्टन खुशीमन गुरुंग – वीरचक्र
- राइफलमैन कुलदीप सिंह – वीर चक्र
- लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग – सेना मेडल
- सिपाही चंदन सिंह – सेना मेडल
- लांस नाइक देवेंद्र प्रसाद – सेना मेडल
- नाइक शिव सिंह – सेना मेडल
- नायक जगत सिंह – सेना मेडल
- राइफलमैन ढब्बल सिंह – सेना मेडल
- लांस नाइक सुरमन सिंह – सेना मेडल
- आनरेरी कैप्टन ए हेनी माओ – सेना मेडल
- आनरेरी कैप्टन चंद्र सिंह – सेना मेडल
ब्रैवेस्ट ऑफ ब्रेव रेजीमेंट देहरादून में :
कारगिल युद्ध में 13 जैक (जम्मू एंड कश्मीर) राइफल्स ने शौर्य और वीरता का जो इतिहास रचा उसके लिए उसे ब्रैवेस्ट ऑफ ब्रैव यानी वीरों में सबसे वीर का खिताब मिला है। दिल मांगे मोर का नारा देने वाले परम वीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम बत्तरा 13 जैक के थे, जबकि कारगिल में परमवीर चक्र से सम्मानित रेजीमेंट के दूसरे सैनिक संजय कुमार हैं।
भारतीय सैन्य इतिहास में यह पहली रेजीमेंट बनी जिसके दो सैनिकों को एक सैन्य अभियान में वीरता के सर्वश्रेष्ठ पदक परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। कारगिल में सैन्य इतिहास में वीरता की गाथा लिखने वाले 13 जैक रेजिमेंट पिछले कुछ अरसे से देहरादून कैंट में है।
रेजिमेंट के परिसर में कारगिल युद्ध की वीर गाथा पर एक म्यूजियम है। सैनिकों के सीने को चौड़ा करते वीरता पदक आज भी रेजिमेंट के कारगिल में प्वाइंट 4750, 4875 और 5140 के विजयी अभियान की यादें ताजा करते हैं।
13 जैक को युद्ध के बाद ब्रैवेस्ट आफ ब्रैव का टाइटल तो मिला साथ में चीफ आफ आर्मी स्टाफ यूनिट साइटेशन और थियेटर आनर सहित कई सैन्य सम्मान मिले। रेजीमेंट के शूरवीर 26 जुलाई को कारगिल दिवस शहीद समारोह में मौजूद रहेंगे। लेख के साथ दिए गए आंकड़े इंटरनेट पर आधारित हैं।
कारगिल विजय दिवस पर गढवाल हितैषिणी सभा, गढवाल भवन कारगिल के अमर शहीदों को शत्-शत् नमन करते हुए अपनी पुष्पांजलि अर्पित करती है।
पवन कुमार मैठाणी, महासचिव, गढवाल हितैषिणी सभा
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