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पलायन सतत प्रक्रिया है। पलायन के परिणाम सदैव ही सुखद होते हैं। पलायन को समझने के लिए वैश्विक बुद्धि की जरूरत है। समय की धारा से हट कर सोचने की जरूरत है, परांपरागत सोच से ऊपर सोचना पड़ेगा। समय की मांग को पूरा करना होगा। पलायन उस क्षेत्र के लिए सुखद होता है जहां से लोग पलायन करते है। वहां की भौगोलिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक विरासत को फल-फूलने का वक्त मिलता है, वहाँ की हर विरासत का विस्तारीकरण होता है। जैसे फूलों से परागकण का बिखराव होता है वैसे ही पलायन से उस क्षेत्र की हर छिपी हुई धरोहर का सामाजिक दोहन होता है। स्थिर पलायन विकल्प होता है क्षेत्र की आबोहवा के अंतः शुद्धिकरण के लिए। पलायन वास्तविक यूनिवर्सिटी है जो समाज को मौका देती है कि इस बात का विश्लेषण किया जाय कि क्या खोया क्या पाया। पलायन कर चुके लोगों के पास सुनहरा मौका है कि वो स्वयं का मूल्यांकन करें अपनी क्षमताओं का आंकलन करें। वर्चुअल दुनिया की चाहत में किया गया पलायन पीड़ादायक होता है मगर वास्तविकता के लिए स्थानांतरण होना नही खोज का पहला पड़ाव है। मानव सभ्यता कभी भी एक स्थान पर फलफूल नही सकती है उन्नति प्रगति व विकास के लिए स्थान से विस्थापित होना अति आवश्यक है। उस विस्थापन से सीख लेना अतिआवश्यक है वरना परिणाम भयानक होंगे। राष्ट्र के निर्माण में पलायन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किसी भी राज्य व देश का इतिहास उठाकर देखें स्थानांतरित समाज ने नित नए आयाम रचे है। पलायन समाज उद्देशिक प्रवृत्ति का होता है। इसलिये वह तरक्की करता है प्रगति का दूसरा नाम पलायन है। इसी कड़ी में मैं आज आप लोगों को कुछ लोगों से मिला रहा हूँ। पलायन की पीड़ा से ग्रस्त कुछ लोगों ने मर्ज की दवा खुद खोज निकाली है। पहाड़ के लोग जब ठान लेते है तो कुछ बड़ा ही करते है। ऐसी ही एक कहानी है पौडी गढवाल के कल्जीखाल विकास खण्ड के मनियारस्यू पट्टी की। ग्राम थनुल के ग्राम प्रधान ने बंजर पढ़े खेतो को फिर से आबाद करने की मुहीम चलाई है। जिनकी हर तरफ सराहना हो रही हैं। इससे पहले वह अपने गांव अमटोला में बंजर खेतों को आबाद कर चुके हैं। ग्राम प्रधान रिटायर्ड कैप्टन नरेन्द्र सिंह नेगी का थनुल गांव की मनमोहक सिचिंत खेती को बंजर देखकर कर मन दुखी हुआ, वह लगातार ग्रामीणों को फिर से अनाज की खेती के लिए प्रेरित करते रहे औऱ और कहते है न है “देर होली अबेर होली, होली जरुर सबेर होली” और आज से महिलाओ द्वारा सामूहिक तौर पर बंजर पढ़े खेतो को सुधारीकरण करना प्रारम्भ कर दिया। वहीं पुरुषों द्वारा साथ-साथ हल भी लगाना शुरु कर दिया। ग्राम प्रधान ने बताया की अभी जंगोरा एवं धान की खेती करेंगे और यदि कृषि विभाग का सहयोग रहा तो खेतों की घेरबाड़ की जाएगी ताकि कृषकों की फसल को जंगली जानवरों से बचाया जा सके और खेती करने वाले कृषकों का मनोबल नही गिरे। इस बेहतरीन मुहीम के लिए जागरूक ग्राम प्रधान नेगी को धन्यवाद।

देवेश आदमी