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श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल स्थित प्राथमिक विद्यालय गहड की शिक्षिका संगीता फरासी ने सड़क पर भीख मांगने वाले बच्चों को भीख की जगह अक्षर ज्ञान एवं स्वरोजगार की दीक्षा देकर उनकी किस्मत बदलकर समाज में एक नई मिसाल पेश की है।

एक ओर जहाँ आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास अपने खुद के बच्चों के लिए समय नहीं है वहीं हमारे बीच संगीता फरासी जैसी शिक्षिकायें भी हैं जिन्होंने सड़क पर भीख मांगने वाले बच्चों को भीख की जगह अक्षर ज्ञान देकर उनकी किस्मत की रेखा ही बदल दी है और उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाकर इज्जत की जिंदगी जीने का अवसर प्रदान किया है। यही नहीं संगीता फरासी ने मलिन बस्ती के इन बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ स्वरोजगार की दीक्षा देकर स्वावलंबी बनाने का भी काम किया है। और इसी का नतीजा है कि बीते दिनों जीएनटीआई मैदान में लगे बैकुण्ठ चतुर्दशी मेले एंव विकास प्रदर्शनी में इन बच्चों ने अपने हुनर को दर्शाते हुए छोटे छोटे खूबसूरत हाथों से क्राफ्ट की तितली, गुलाब का फूल, बैग, लिफाफे सहित अपनी बनायीं वस्तुओं का स्टाल लगाया। और आप शायद यकीन नहीं करेंगे कि इन बच्चों ने सात दिन के इस मेले में अपने हाथों से बनाये उत्पादों से करीब 14,520/- रुपये की धनराशि कमा डाली। इस तरह जो बच्चे कल तक सड़कों पर नंगे पांव गंदे कपड़ों में  पेट की भूख मिटाने के लिए भीख मांगते फिरते थे आज वही बच्चे एक शिक्षिका की सकारात्मक सोच एवं समाज के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति की वजह से समाज की मुख्य धारा से जुड़ गए है और इज्जत की जिन्दगी जी रहे हैं।beggars

श्रीनगर अपर बाजार निवासी शिक्षिका संगीता फरासी का कहना है कि उन्हें शहर में भीख मांगते बच्चों को देखना बेहद तकलीफदेह लगता था। जब भी वह ऐसे बच्चों को भीख मांगते हुये देखती तो मन ही मन बेहद दुखी होती। उन्होंने कई बार इन बच्चो से कहा कि भीख मांगना छोड़ दो, परन्तु वे बच्चे फिर से भीख मांगने आ जाते थे। अंततः शिक्षिका संगीता नें इन बच्चो से भीख मांगने की आदत छुडाकर इन्हें मुख्यधारा में शामिल करने का संकल्प लेते हुए मलिन बस्ती में जाकर इन बच्चों के माता पिता से मुलाकात की। और इन बच्चो के माता पिता से इन्हें भीख की जगह स्कूल भेजने की बात की। लेकिन वे नहीं माने। जब शिक्षिका संगीता नें बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, कापी किताब, स्कूल यूनिफार्म आदि देने का वायदा किया तो उनके घरवालो नें हामी भर दी।

इस तरह संगीता नें कुल 15 बच्चों को सड़कों पर भीख मांगना छुडवाकर उनका स्कूल में दाखिला करवाया और उनके ट्यूशन की व्यवस्था कराई। जिसका खर्च वह खुद वहन करती है। वह सरकारी नौकरी के बाद वो खुद इन बच्चों को दो घटें समय देती है साथ ही इनको हुनरमन्द बनाने के लिए वह एक कर्मचारी को मासिक वेतन देकर इन बच्चों को हुनरमन्द बना रही है। शिक्षिका संगीता से सभी को प्रेरणा लेने की जरुरत है। साभार सोशल मीडिया