नई दिल्ली : देश में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों के बीच एक अच्छी खबर आई है। ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स (Glenmark Pharmaceuticals) ने कोरोना वायरस कोविड-19 से मामूली और मध्यम रूप से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए एंटीवायरल दवा फेविपिरविर को फैबिफ्लू ब्रांड नाम से पेश किया है। कंपनी ने शनिवार को यह जानकारी दी। शुक्रवार को मुंबई की इस फार्मा कंपनी ने बताया था कि उसे फैबिफ्लू दवा के निर्माण और मार्केटिंग के लिए भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) से अनुमति मिल गई है। कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों को अब ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स की दवा दी जा सकेगी।
ग्लेमार्क फार्मास्युटिल्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ग्लेन सल्दान्हा ने कहा कि यह मंजूरी ऐसे समय मिली है जबकि भारत में कोरोना वायरस के मामले पहले की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली काफी दबाव में है। उन्होंने उम्मीद जताई कि फैबिफ्लू जैसे प्रभावी इलाज की उपलब्धता से इस दबाव को काफी हद तक कम करने में मदद मिलेगी।
यह दवा चिकित्सक की सलाह पर 103 रुपये प्रति टैबलेट के दाम पर मिलेगी। पहले दिन इसकी 1800 एमजी की दो खुराक लेनी होगी। उसके बाद 14 दिन तक 800 एमजी की दो खुराक लेनी होगी। ग्लेनमार्क फार्मा ने कहा कि मामूली संक्रमण वाले ऐसे मरीज जो मधुमेह या दिल की बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें भी यह दवा दी जा सकती है।
ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने कहा कि यह दवा 34 टैबलेट की स्टि्रप के लिए 3,500 रुपये के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर 200 मिलीग्राम टैबलेट के रूप में उपलब्ध होगी। टैबलेट का उत्पादन कंपनी द्वारा हिमाचल प्रदेश के बद्दी में किया जा रहा है। ग्लेनमार्क ने कहा कि यह दवा अस्पतालों और खुदरा चैनल दोनों माध्यम से उपलब्ध होगी। ग्लेनमार्क ने कहा कि कंपनी ने अपने इन-हाउस रिसर्च एंड डेवलपमेंट टीम के माध्यम से फैबिफ्लू के लिए सक्रिय फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट (एपीआइ) और फॉर्म्युलेशन को सफलतापूर्वक विकसित किया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 3,95,048 हो गई है। जबकि इस बीमारी से अब तक 12,948 लोगों की मौत हुई है। हालाँकि अब तक 2,13,831 लोग ठीक हो चुके हैं।
Glenmark gets DCGI nod for favipiravir for treatment of Covid patients
It is for restricted emergency use in India. Restricted use entails responsible medication use where every patient must have signed informed consent before treatment initiation
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— The Times Of India (@timesofindia) June 19, 2020