Tokyo Paralympics 2020: जापान की राजधानी टोक्यो 24 अगस्त से शुरू हुए पैरालिंपिक खेलों में आज भारत की अवनि लखेरा ने शूटिंग में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। 19 साल की इस शूटर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में अव्वल स्थान हासिल किया। भारतीय निशानेबाज अवनि ने स्वर्ण पदक जीतने के लिए 249.6 का पैरालिंपिक रिकॉर्ड बनाया। चीन की क्यूपिंग झांग ने 248.9 के साथ सिल्वर और यूक्रेन की इरिना शचेतनिक ने 227.5 के साथ कांस्य पदक जीता। 19 वर्षीय अवनी लखेरा पहली बार पैरालिंपिक खेलों में खेल रही हैं और इन खेलों में गोल्ड जीतने वालीं वह पहली भारतीय महिला हैं। साल 2012 में एक्सीडेंट के बाद अवनी व्हीलचेयर पर आ गई थीं, लेकिन उन्होंने निशानेबाजी के खेल को न सिर्फ अपना शौक, बल्कि प्रोफेशन भी बना लिया था। कोरोना काल में भी वह अपने घर पर रहकर पैरालंपिक की तैयारियों में जुटी रही। अवनि का सपना था कि वह पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीते। अवनि की जिद और जुनून ने उनके इस सपने को पूरा कर दिया। उन्होंने पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर नया इतिहास लिखा है।
अवनि के अलावा आज पुरुषों की डिस्कस थ्रो में योगेश कथुनिया ने रजत पदक अपने नाम किया। भाला फेंक स्पर्धा में देवेंद्र झाझरिया सिल्वर मेडल जीतने में सफल रहे। जबकि, सुंदर सिंह गुर्जर ने कांस्य पदक पर कब्जा किया। इस तरह 24 अगस्त से शुरू हुए पैरालंपिक में भारत को अब तक 7 मेडल मिल चुके हैं। भारत ने पैरालंपिक खेलों में अब तक एक गोल्ड, चार सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल जीत लिए हैं। मेडल टैली में भारत अभी 23वें नंबर पर है। सबसे ज्यादा 106 मेडल चीन ने और उसके बाद 62 मेडल ग्रेट ब्रिटेन ने जीते हैं।
पीएम मोदी ने अवनि लखेरा से फोन पर बात करके उन्हें गोल्ड मेडल जीतने की बधाई दी। उन्होंने कहा कि ये जीत बड़े गर्व की बात है। अवनि ने भी पूरे देश से मिले सहयोग और बधाई पर खुशी जताई। अवनि को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी बधाई दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि भारत की एक और बेटी ने हमें गौरवान्वित किया है। उन्होंने अवनि को पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने पर भी बधाई दी।
अवनी कभी बिल्कुल स्वस्थ थीं लेकिन साल 2012 में एक दिन वह अपने पिता के साथ एक कार में सवार होकर कहीं जा रही थीं। यह कार दुर्घटना का शिकार हो गई और इससे अवनी के स्पाइनल कोर्ड में चोट (रीढ़ की हड्डी में चोट) लग गई। इस चोट के चलते वह अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकतीं। अवनी अपने पिता की प्रेरणा से ही शूटिंग की माहिर खिलाड़ी बनीं। उनके पिता चाहते थे कि बेटी खेलों में अपनी किस्मत आजमाए। शुरुआत में अवनी ने आर्चरी और शूटिंग दोनों को अपनाया। फिर उन्हें महसूस हुआ कि वह शूटिंग को खूब एन्जॉय करती हैं और वह ओलिंपिग गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा से भी काफी प्रभावित हैं और उनकी किताब पढ़ने के बाद उन्होंने भी शूटिंग को चुनना पसंद किया।
बता दें कि अवनी राजस्थान के जयपुर में रहती हैं और वह एथलीट होने के साथ-साथ लॉ की स्टूडेंट भी हैं। वह यूनीवर्सिटी ऑफ राजस्थान, जयपुर से कानून की पढ़ाई कर रही हैं। पैरालिंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वालीं अवनी चौथी भारतीय खिलाड़ी बनी हैं। उनसे पहले स्वीमर मुरलीकांत पेटकर (1972), भाला फेंक में देवेंद्र झझारिया (2004 और 2016) और ऊंची कूद में थंगावेलु मरियप्पन (2016) यह कारनामा अपने नाम कर चुके हैं। वह पैरालिंपक में गोल्ड जीतने वालीं पहली महिला भारतीय हैं।