देहरादून: कूर्मांचल सांस्कृतिक एवं कल्याण परिषद गढ़ी शाखा द्वारा उत्तराखंड के पारंपरिक हरेला त्यौहार पर आज ड़िकारे पूजा (शिव परिवार) की हाथ से बनी व सजी मूर्तियों की पूजा अर्चना के पश्चात हरेला काटकर सर्वप्रथम गणेश, शिव-पार्वती एवं अन्य देवी देवताओं को चढ़ाया गया। संस्था की सचिव बबीता शाह लोहानी ने बताया कि हरेला का मूल सन्देश यही है कि पृथ्वी पर चारों ओर हरियाली, सुख समृद्धि और खुशहाली हो। वहीँ संस्था के अध्यक्ष दामोदर कांडपाल ने बताया कि “जी रया जग रया,.. यो दिन यो मास भैटने रया”।
यह आशीष वचन हरेले के दिन परिवार के वरिष्ठ सदस्य परिजनों को हरेला पूजते हुए देते हैं। और हरेले के तिनकों को सिर पर रखने के परंपरा आज भी है। उन्होंने बताया कि कुमायूं में हरेला पर्व का धार्मिक एवं पौराणिक महत्त्व है। श्रावण मास के प्रथम दिन मनाये जाने वाले इस त्यौहार को कर्क संक्रांति के रूप से भी मनाया जाता है। इस दिन से सूर्य दक्षिणायन हो जाता है। और कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर बढ़ने लगता है। हरेला के लिए 10 दिन पहले से अनाज के बीज बोये जाते हैं। और आज के दिन उन्हें काटा जाता है। इस अवसर पर संस्था की महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में झोड़ा नृत्य भी किया। कार्यक्रम के केन्द्रीय अध्यक्ष कमल रजवार, केन्द्रीय उपाध्यक्ष राजेश पाण्डेय, भवन संयोजक संतोष जोशी, शाखा अध्यक्ष दामोदर कांडपाल, सचिव बबीता लोहानी, गिरीश चन्द्र तिवारी, रविशंकर पाण्डेय, कमला उप्रेती, पंडित श्रीनिवास नौटियाल, पंडित कालिका प्रसाद नौटियाल, रमा कांडपाल, प्रेमा तिवारी, पुष्पा पंत, राकेश कुमार लोहानी, कमला मेहता, तारा, अंकिता कांडपाल, कमला देवी, पूजा नौटियाल, पुष्पा महरा आदि उपस्थित रहे।