Uttarakhand Kranti Dal : उत्तराखंड राज्य निर्माण आन्दोलन में निर्णायक भूमिका निभाने वाली तथा प्रदेश वासियों की जन भावना से जुड़ी क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल आज हासिये पर जाती नजर आ रही है। प्रदेश वासियों के लिए हैरानी की बात है कि आज पूरे राज्य की 70 विधानसभा सीटों पर UKD को उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे हैं। एक ओर बीजेपी, कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी में एक-एक सीट पर 10 से 15 दावेदार लाइन लगाकर खड़े दिखाई दिए थे, जिसके चलते इन दलों में दलबदल और बागवत चरम पर थी। वहीँ दूसरी ओर उत्तराखंड क्रांति दल को कई सीटों पर ढूंढे से भी प्रत्याशी नहीं मिल सके। यूकेडी ने 70 विधानसभा सीटों में से मात्र 51 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
उत्तराखंड क्रांति दल का अब तक का सफ़र देखें तो राज्य गठन से लेकर अब तक यूकेडी राज्य में अपना जनाधार खोता ही चला गया। वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में पार्टी 4 सीटों पर चुनाव जीतने में कामयाब हुई थी। वहीँ 2007 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव में पार्टी 3 सीटों पर चुनाव जीत पायी थी। तथा 2012 में हुए तीसरे विधानसभा चुनाव में पार्टी एक सीट पर सिमट कर रह गई। जबकि 2017 में हुए चौथे विधानसभा चुनाव में पार्टी शून्य पर पहुँच गई। और अब ये हाल है कि 2022 में पांचवें विधानसभा चुनाव में पार्टी को 70 सीटों के लिए उम्मीदवार नहीं मिल पाये हैं।
यह बड़ा सोचनीय विषय है कि उत्तराखंड राज्य निर्माण से लेकर गैरसैण राजधानी तक हर मुद्दों को उठाने में अहम भूमिका निभाने वाली क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल आज अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने को मजबूर है। प्रदेश की जनता का भरोसा यूकेडी से उठता जा रहा है। ukd के राज्य में लगातार गिरते जा रहे जनाधार का जिम्मेदार आखिर कौन है और इसकी असली वजह क्या है। कुछ लोगों का कहना है दोनों बड़े दलों ने मिलकर यूकेडी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। तो कुछ का कहना है कि यूकेडी के नेताओं की पार्टी पर हावी होती महत्वाकांक्षा तथा बेहतर लीडरशिप ना होने के चलते आज पार्टी का ये हाल हुआ है।
उत्तराखण्ड क्रान्ति दल की स्थापना उत्तर प्रदेश के पर्वतीय ज़िलों से बने एक अलग राज्य के निर्माण आन्दोलन हेतु 26 जुलाई 1979 को हुई थी। स्थापना सम्मेलन कुमाऊँ विश्वविद्यालय के भूतपूर्व उपकुलपति डॉ॰ डी.डी. पन्त की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था। और आज 42 साल बाद पार्टी इस हालत में पहुँच गई है।
ये रही यूकेडी के प्रत्याशियों की लिस्ट
- बदरीनाथ से ब्रजमोहन सिंह
- कर्णप्रयाग से बलवंत सिंह नेगी
- रुद्रप्रयाग से मोहित डिमरी
- धर्मपुर से किरन रावत कश्यप
- पौड़ी से पूनम सिंह टम्टा
- हरिद्वार ग्रामीण से उपेंद्र
- धारचूला से रमेश थलाल
- पिथौरागढ़ से चंद्रशेखर कापड़ी
- डीडीहाट से गोविंद सिंह
- बागेश्वर (अनुसूचित जाति) से गोपाल बनवासी
- कालाढुंगी से मोहन कांडपाल
- यमुनोत्री से रमेश चंद रमोला
- गंगोत्री से जसवीर सिंह असवाल
- घनसाली से कमल दास
- नरेंद्र नगर से सरदार सिंह पुंडीर
- चकराता विधानसभा सीट से रामानंद चौहान
- विकासनगर से प्रीति थपलियाल
- सहसपुर विधानसभा सीट से गणेश प्रसाद काला
- राजपुर रोड से बिल्लू वाल्मीकि
- नैनीताल से ओमप्रकाश
- रामनगर विधानसभा सीट से राकेश चौहान
- भीमताल से हरिश्चंद्र राहुल
- जागेश्वर से मनीष सिंह नेगी
- हरिद्वार से आदेश कुमार मारवाड़ी
- सल्ट विधानसभा सीट से राकेश नाथ गोस्वामी
- द्वाराहाट विधानसभा सीट से पुष्पेश त्रिपाठी
- देवप्रयाग विधानसभा सीट से दिवाकर भट्ट
- श्रीनगर विधानसभा सीट से मोहन काला
- धनौल्टी विधानसभा सीट से उषा पंवार
- लैंसडाउन विधानसभा सीट से एपी जुयाल
- अल्मोड़ा विधानसभा सीट से भानु प्रकाश जोशी
- काशीपुर विधानसभा से मनोज डोबरियाल
- यमकेश्वर सीट से शांति प्रसाद भट्ट
- केदारनाथ विधानसभा सीट से गजपाल सिंह रावत
- रामनगर विधानसभा सीट से अनिल डोभाल
- ऋषिकेश विधानसभा सीट से मोहन सिंह असवाल
- देहरादून कैंट विधानसभा सीट से अनिरुद्ध काला
- चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से वीरेंद्र सिंह रावत
- टिहरी विधानसभा सीट से उर्मिला
- किच्छा विधानसभा सीट से जीवन सिंह नेगी
- डोईवाला विधानसभा सीट से शिव प्रसाद सेमवाल
- गंगोलीहाट से हरिप्रसाद लोहिया,
- हल्द्वानी से रवि वाल्मीकि,
- रानीपुर हरिद्वार से प्रवीण कुमार सैनी,
- थराली से कस्वी लाल शाह
- रानीखेत विधानसभा से तुला सिंह पडियार
- मसूरी विधानसभा से शकुंतला रावत
नामांकन के आखिरी दिन पार्टी ने सिर्फ दो सीटों पर प्रत्याशी उतारे। जबकि दो सीटों पर सहयोगी दलों को समर्थन दिया। प्रतापनगर सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी पंकज व्यास को समर्थन दिया गया। तथा लालकुआं सीट पर सीपीआई एमएल के प्रत्याशी को समर्थन दिया। जबकि कोटद्वार सीट पर हिन्दू एकता आंदोलन पार्टी के कैप्टन मुकेश रावत को अपना प्रत्याशी बनाया है। इसके अलावा शेष बची 17 सीटों पर किसी भी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई।
इलेक्शन डेस्क देवभूमि संवाद