Uttarakhand Uniform Civil Code: उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) का ड्राफ्ट तैयार करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। गौरतलब है कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए मई 2022 में विशेषज्ञ समिति का गठन हुआ था। गठन से लेकर अब तक समिति ढाई लाख से अधिक सुझाव ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त कर चुकी है। सभी 13 जिलों में हितधारकों के साथ सीधे संवाद कर चुकी है। नई दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों से भी चर्चा हो चुकी है।
आज उत्तराखंड UCC कमेटी की अध्यक्ष जस्टिस रंजना देसाई ने इसकी घोषणा की। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नई दिल्ली में जस्टिस रंजना देसाई ने कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि उत्तराखंड के प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का मसौदा अब पूरा हो गया है। ड्राफ्ट के साथ विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट मुद्रित की जाएगी। इसके बाद इसे उत्तराखंड सरकार को सौंपा जाएगा। जस्टिस रंजना देसाई ने कहा कि कमेटी ने उत्तराखंड के राजनेताओं, मंत्रियों, विधायकों और आम जनता की राय ली है। उसके बाद ही समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार किया गया है।
सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को दी बधाई
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार होने पर सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा ‘ प्रदेशवासियों से किए गए वादे के अनुरूप आज 30 जून को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने हेतु बनाई गई समिति ने अपना कार्य पूरा कर लिया है। जल्द ही देवभूमि उत्तराखण्ड में #UniformCivilCode लागू किया जाएगा।’
क्या है समान नागरिक संहिता?
समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है। इसके आने के बाद सभी धर्मों के पर्सनल लॉ बोर्ड समाप्त हो जाएंगे और सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाए जा सकेंगे और साथ में सभी के लिए अलग अलग अदालतों की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
समान नागरिक संहिता एक पंथनिरपेक्ष कानून होता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर मजहब के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा। यानी मुस्लिमों को भी तीन शादियां करने और पत्नी को महज तीन बार तलाक बोले देने से रिश्ता खत्म कर देने वाली परंपरा खत्म हो जाएगी। वर्तमान में देश हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के अधीन करते हैं। फिलहाल मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का पर्सनल लॉ है, जबकि हिन्दू सिविल लॉ के तहत हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं।
किन-किन देशों में है समान नागरिक संहिता?
समान नागरिक संहिता का पालन कई देशों में होता है। इन देशों में पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र, अमेरिका, आयरलैंड आदि शामिल हैं। इन सभी देशों में सभी धर्मों के लिए एक समान कानून है और किसी धर्म या समुदाय विशेष के लिए अलग कानून नहीं हैं।
समान नागरिक संहिता से क्या होगा असर
शादी की उम्र: यूसीसी में सभी धर्मों की लड़कियों की विवाह योग्य उम्र एक समान करने का प्रस्ताव है। पर्सनल लॉ और कई अनुसूचित जनजातियों में लड़कियों की विवाह की उम्र 18 से कम है। यूसीसी के बाद सभी लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ सकती है।
विवाह रजिस्ट्रेशन : देश में विवाह को पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं है। यूसीसी में सुझाव है कि सभी धर्मों में विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। इसके बिना सरकारी सुविधा का लाभ नहीं दिया जाएगा।
बहुविवाह : कई धर्म और समुदाय के पर्सनल लॉ बहुविवाह को मान्यता देते हैं। मुस्लिम समुदाय में तीन विवाह की अनुमति है। यूसीसी के बाद बहु-विवाह पर पूरी तरह से रोक लग सकती है।
लिव इन रिलेशनशिपः इसके लिए घोषणा करने के बाद अभिभावकों को भी बताना होगा। इसके साथ सरकार को ब्योरा देना जरूरी हो सकता है।
हलाला और इद्दत खत्म: मुस्लिम समाज में हलाला और इद्दत की रस्म है। यूसीसी के कानून बनाकर लागू किया तो यह खत्म हो जाएगा।
तलाक : तलाक लेने के लिए पत्नी व पति के आधार अलग-अलग हैं। यूसीसी के बाद तलाक के समान आधार लागू हो सकते हैं।
भरण-पोषण: पति की मौत के बाद मुआवजा राशि मिलने के बाद पत्नी दूसरा विवाह कर लेती है और मृतक के माता-पिता बेसहारा रह जाते हैं। यूसीसी का सुझाव है कि मुआवजा विधवा पत्नी को दिया जाता है, तो बूढ़े सास-ससुर के भरण पोषण की जिम्मेदारी भी उस पर होगी। वह दूसरा विवाह करती है तो मुआवजा मृतक के माता-पिता को दिया जाएगा।
गोद लेने का अधिकार: यूसीसी के कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा।
बच्चों की देखरेख : यूसीसी में सुझाव है कि अनाथ बच्चों की गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान व मजबूत बनाया जाए।
उत्तराधिकार कानून: कई धर्मों में लड़कियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार हासिल नहीं है। यूसीसी में सभी को समान अधिकार का सुझाव है।
जनसंख्या नियंत्रण: यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का भी सुझाव है। इसमें बच्चों की संख्या सीमित करने, नियम तोड़ऩे पर सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित करने का सुझाव है।
प्रदेशवासियों से किए गए वादे के अनुरूप आज 30 जून को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने हेतु बनाई गई समिति ने अपना कार्य पूरा कर लिया है। जल्द ही देवभूमि उत्तराखण्ड में #UniformCivilCode लागू किया जाएगा।
जय हिन्द, जय उत्तराखण्ड !
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) June 30, 2023