सतपुली : आज पूरा देश कोरोना रूपी महामारी से जूझ रहा है। कोरोना वायरस संक्रमण की बढती रफ़्तार के चलते शासन द्वारा जारी कोविड गाइडलाइन की पाबंदियों के तहत पहले ही शादी विवाह के आयोजनों को सीमित किया गया है। ऊपर से कोविड टेस्टिंग की नेगेटिव रिपोर्ट साथ लाने के चलते इन दिनों होने वाले शादी समारोहों में सगे संबंधियों का शामिल हो पाना भी बेहद मुश्किल हो रहा है। इसबीच पौड़ी गढ़वाल से कोरोना के चलते एक ऐसी अनोखी शादी की खबर आई है जिसमे दूल्हा-दुल्हन खुद की शादी में शामिल नहीं हो पाए और दूल्हा-दुल्हन के बिना ही पूरे रस्मो रिवाज के साथ उनकी शादी संपन्न कराई गई।
हालंकि कि बुजुर्गों से सुना है कि पुराने ज़माने में जब दूल्हा किसी कारणवस अपनी शादी के लिए गाँव नहीं पहुँच पता था तब श्रीफल (नारियल) को प्रतीक मानकर पूरी रस्मो रिवाज से शादी हो जाती थी। ऐसा उन फौजी भाईयों के साथ होता था जिन्हें अचानक युद्ध छिड़ जाने के चलते छुट्टी नहीं मिल पाती थी। परन्तु आज के इस वैज्ञानिक युग में भी इस कोरोना रूपी महामारी ने लोगों को एक बार फिर सदियों पुरानी घटनाओं को दोहराने के लिए मजबूर कर दिया है।
ऐसी ही एक अनोखी शादी बीते 18-19 अप्रैल को जनपद पौड़ी गढ़वाल के सतपुली तहसील के अंतर्गत नजदीकी गाँव हुई। जिसमें न तो दूल्हा था और न ही दुल्हन। फिर भी नारियल को दोनों का प्रतीक मानकर पूरे रस्मो रिवाजों के साथ शादी हुई।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक ग्राम जखनोली में बीते 18-19 अप्रैल 2021 को किरण उर्फ बन्नी की शादी निश्चित हुई थी। पूरे हर्षोउल्लास से तैयारी चल रही थी। सरकार की गाइडलाइन्स के मुताबिक उत्तराखंड पहुँचने से पहले दूल्हे ने अपना कोविड टेस्ट करवाया जिसमे दूल्हा गौतम पॉजिटिव निकल गया।
इधर दिल्ली में कार्यरत दुल्हन किरण उर्फ बन्नी भी दिल्ली से गुमखाल तक पहुच गई थी। परन्तु इसबीच बन्नी को अपने अंदर कोविड के लक्षण होने का आभास हुआ। और वह समझदारी दिखाते हुए दिल्ली के लिए वापस चल दी। किरण ने बताया कि उसे शादी के लिए परमिशन मिल गई थी, परन्तु गांव में बड़े बुजुर्ग व समस्त गाँव वालों को खतरा न हो इसलिये उसने वापसी का फैसला लिया। जिसके बाद उनके घर वालों ने बिना दूल्हा-दुल्हन के पूरे रस्मो रिवाज के साथ श्रीफल (नारियल) को प्रतीक मानकर उनकी शादी संपन्न कराई। उसने बताया कि शास्त्रों व ब्राह्मणों के अनुसार बिना दूल्हा दुल्हन के भी नारियल को प्रतीक मानकर शादी हो सकती है। तो हमारी शादी भी इसी तरह से सम्पन्न हुई।
ग्रामीणों ने बताया कि बन्नी की शादी में पीठू कूटंण, अरसा बणन, महिला संगीत, कीर्तन, बेदी, फेरे आदि सभी तरह की रस्म निभाई गई।