अंकिता हत्याकांड मामले को लेकर पूरे उत्तराखंड के लोग आक्रोशित है। अंकिता भंडारी को इंसाफ दिलाने के लिए उत्तराखंड से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक जगह लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। इसीक्रम में राज्यभर के तमाम जन संगठनों, व्यापार संघों, छात्र संगठनों और कई विपक्षी दलों ने 2 अक्टूबर को उत्तराखंड बंद का ऐलान किया है।
शुक्रवार को देहरादून के शहीद स्थल पर आयोजित बैठक में फैसला लिया गया कि महिलाओं की अगुवाई में राज्य के तमाम मुद्दों को लेकर आंदोलन को आगे बढ़ाया जाए। इसमें युवाओं को मुख्य रूप से शामिल किया जाए। अन्य लोग भी आंदोलन में सहयोग करें। बैठक के बाद बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जन संगठनों और विपक्षी दलों के नेताओं कहा कि 2 अक्टूबर के बंद को व्यापारी संगठनों, टैक्सी यूनियनों और विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के छात्र संगठनों ने भी समर्थन दिया है।
अंकिता भंडारी हत्याकांड में उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) ने भी सड़क पर उतरने का एलान किया है। उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय संरक्षक त्रिवेन्द्र पंवार ने अंकिता हत्याकांड के आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग की है। इस दौरान उत्तराखंड क्रांति दल ने गांधी जयंती के दिन उत्तराखंड में एक बड़े आंदोलन की सरकार को चेतावनी दी है। 2 अक्टूबर को उत्तराखंड क्रांति दल ने पूरे उत्तराखंड में काला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। उत्तराखंड क्रांति दल के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार ने अंकिता हत्याकांड पर कहा कि ऐसी घटना उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए शर्मसार करने वाली घटना है। अंकिता ने जो शहादत दी है, वह उत्तराखंड की अस्मिता से जुड़ी है। आज पहाड़ का स्वाभिमान खतरे में है। जब तक अंकिता के हत्यारों को फांसी की सजा नहीं मिलती, हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
श्रीनगर में भी बंद का ऐलान
अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्याय की कार्यवाही में तेजी लाने के लिए छात्र संगठनों, सामाजिक राजनीतिक संगठनों और प्रदेश के प्रगतिशील लोगों ने दो अक्टूबर को उत्तराखंड बंद की अपील की है। इसका समर्थन श्रीनगर के कई छात्र और राजनीतिक सामाजिक संगठनों समर्थन किया है। सभी छात्र संगठनों ने आम जन और अन्य संगठनों से अंकिता की न्याय की लड़ाई में एक जुट होने और बंद के समर्थन करने की अपील की है। सभी लोगों ने एक जुट हो कर कहा कि अंकिता को जल्दी न्याय दिलाने के लिए इस मामले को सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए तथा फास्ट ट्रेक कोर्ट में सुनवाई कर दोषियों को सजा दी जानी चाहिए।
अंकिता हत्याकांड ने उत्तराखंड के जन मानस के मन में गहरा घाव दिया है। गढ़वाल विवि की पूर्व छात्रा प्रतिनिधि डा. शिवानी ने कहा कि इस राज्य की लड़ाई में महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी की थी ताकि महिलाओं के विकास का राज्य बने। लेकिन आज अंकिता हत्याकांड ने राज्य की सरकारों को हकीकत जनता के सामने ला दी है। दो अक्टूबर को उत्तराखंड बंद का समर्थन श्रीनगर के प्रगातिशीलों और गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र संगठनों आइसा, आर्यन, जय हो, छात्रम, डीएसओ, पराग महिला संगठन ने किया है। सभी ने अन्य संगठनों से समर्थन की भी अपील की है। सभी ने एक जुट हो कर कहा कि अंकिता श्रीनगर की बेटी है और उसको न्याय मिलना चाहिए। डालमिया धर्मशाला में आयोजित कार्यक्रम में अनिल स्वामी, गंगा असनोड़ा, योगेंद्र कांडपाल, शिवानी पाण्डेय, अंकित उछोली, राम प्रकाश, देवकांत देवराड़ी, अंकित रावत, संजय बिष्ट, मुकेश सेमवाल, मदन मोहन नौटियाल आदि मौजूद रहे।
इन संगठनों का समर्थन
2 अक्टूबर के उत्तराखंड बंद को अखिल गढ़वाल सभा, युवा शक्ति संगठन, एसएफआई, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, राज्य आंदोलनकारी मंच, जन संवाद समिति, पूर्वांचल परिषद, राजकीय पेंशनर संगठन, सरस्वती विहार समिति, जन हस्तक्षेप, चेतना आंदोलन, वनाधिकार आंदोलन, उत्तराखंड महिला मंच, धाद, संवेदना साहित्यिक मंच, व्यापार मंडल, उत्तराखंड बेरोजगार संघ सहित 30 से ज्यादा संगठनों और उत्तराखंड क्रांति दल, कांग्रेस, सीपीएम, सीपीएम एमएल, आम आदमी पार्टी आदि राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों ने भी समर्थन देने का फैसला लिया है।
इंद्रेश मैखुरी बोले परिवार को रखा धोखे में
सीपीआई एमएल के इंद्रेश मैखुरी ने अंकिता मर्डर केस की न्यायिक जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है। उन्होंने पुलिस के इस दावे को झूठा करार दिया कि अंकिता के परिवार को पोस्टमार्टम की कॉपी दे दी गई है। इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि रिजॉर्ट पर बुलडोजर चलाने से भी यह बात साफ हो गई है कि पुलिस ने साक्ष्य मिटाने का प्रयास किया था। उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के प्रदीप कुकरेती ने राज्य भर के लोगों से 2 अक्टूबर के बंद में शामिल होने की अपील की।