subodh uniyal forest minister

Mahakauthig Noida 2024: स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा के सानिध्य में इलाहबाद विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति से शुरूआत करने वाले नरेन्द्रनगर विधायक एवं कैबिनेट मंत्री (वन मंत्री उत्तराखंड सरकार) सुबोध उनियाल ने रविवार को नोएडा स्टेडियम में चल रहे 5 दिवसीय महाकौथिग मेले में बतौर मुख्य अतिथि सिरकत की। महाकौथिक के दूसरे दिन की संध्या का शुभारम्भ करते हुए कैबिनेट मंत्री ने महाकौथिग आयोजन की दिल खोलकर प्रशंशा की।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रवासी होते हुए एक जुट होने एक बहुत बड़ी बात है। कहा कि मै भी अपनी उच्च शिक्षा के दौरान इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवासी रहा, हम लोगों की भी इलाहाबाद में एक पर्वतीय संस्था थी। मै जानता हूँ कि प्रवासी होकर इतना बड़े आयोजनों को करना आसान काम नहीं है। इसलिए मै महाकौथिग के मुख्य संयोजक राजेंद्र चौहान, अध्यक्ष आदित्य घिल्डियाल और वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरीश असवाल समेत महाकौथिग की पूरी टीम को इतने सुंदर और भव्य आयोजन के लिए धन्यवाद देता हूँ। और साथ ही इस मेले को देखने पहुंची जनता का भी आभार प्रकट करता हूँ।

उन्होंने ने महाकौथिग के मंच से दिल्ली-एनसीआर में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों के लिए दो महत्वपूर्ण बातें कही। पहला कि उत्तराखंड की जनता को एकजुट होकर रहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में 7 लोकसभा सीट और 70 विधानसभा सीट हैं। अगर देखा जाये तो कई लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ हम लोग संख्या बल में इतने ज्यादा हैं कि चुनाव परिणामों का रुख मोड़ सकते हैं। परन्तु हमारी आपस की एक जुटता की कमी के कारण आज हमारी कही भी गिनती नहीं है। उन्होंने सभी प्रवासियों को अमरैला मंच बनाने की बात कही। ताकि हर राजनितिक पार्टी में आपकी पूछ हो।

दूसरी बात उन्होंने पहाड़ से हो रहे पलायन को लेकर कही। उन्होंने कहा कि राज्य बनने के बाद जो पहली जनगणना हुई उसमे पहाड़ी क्षेत्र में 6 सीटें कम हुई। और अगर अब जनगणना होती है तो कम से कम 10 सीटें और कम हो सकती हैं। ऐसे में हमारी पहाड़ी राज्य की अवधारणा ख़त्म हो जाएगी। पहाड़ी राज्य का सपना तभी साकार हो सकता है, जब आप लोग समय समय पर अपने अपने गांव जायें। उन्होंने उपस्थित जनता से अपील करते हुए कहा कि उत्तराखंड में जब भी जनगणना होती है, कम से कम उस समय आप लोग अपने अपने गांव जरुर जायें ताकि पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक से अधिक जनसंख्या दर्ज हो सके और परिसीमन के दौरान पर्वतीय क्षेतों में विधानसभा सीटें कम न हों।

अंत में उन्होंने कहा कि जो कौम अपनी संकृति छोड़ देती है, अपनी जड़ों से दूर हो जाती है, वह कौम कभी तरक्की नहीं कर सकती है। इसलिए अपनी संकृति से जुड़े रहें अपने जड़ों से जुड़े रहे हैं।