शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता है। हालात और परिस्थितियों के अनुसार बदलता है। जो पहले था वह आज नहीं जो आज है, वह कल नहीं रहेगा। उत्तराखंड में भी ऐसे ही सियासत ने ‘करवट’ ली। अभी कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री रहते तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के लिए केंद्र स्तर से विकास योजनाओं को लागू कराने के लिए दून से दिल्ली के लिए ‘उड़ान’ भरा करते थे। लेकिन अब नेतृत्व परिवर्तन के बाद तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड की सत्ता से ‘किनारे’ लगा दिए गए हैं। अब पुष्कर सिंह धामी का ‘सियासी युग’ शुरू हो चुका है। ‘शुक्रवार देर शाम जब वे जौलीग्रांट हवाई अड्डे से राजधानी दिल्ली के लिए भाजपा हाईकमान से मिलने के लिए उड़ान भर रहे थे तब पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत को जरूर अपना समय याद आ रहा होगा कि वह भी राज्य में विकास योजनाओं को लागू कराने के लिए ऐसे ही उड़ान भरा करते थे’। खैर, यह बदलाव है जो सदियों से चलता आया है। अब बात को आगे बढ़ाते हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने पहली बार ‘बुलंद इरादों’ के साथ दिल्ली के लिए उड़ान भरी है। राज्य की सत्ता संभालने के बाद यह धामी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से ‘पहली’ मुलाकात होने जा रही है। राज्य के नए मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू के अलावा कई वरिष्ठ अधिकारी भी मुख्यमंत्री धामी के साथ गए हुए हैं।
पीएम मोदी से मुलाकात के समय धामी कोरोना संकट में कांवड़ यात्रा, राज्य में कोरोना महामारी की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी, टीकाकरण अभियान आदि के बारे में ‘मार्गदर्शन’ ले सकते हैं। इसके साथ मुख्यमंत्री धामी प्रधानमंत्री और कई मंत्रियों से देवभूमि में चल रही केंद्रीय योजनाओं जैसे ऑलवेदर रोड, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना और केदारनाथ पुनर्निर्माण योजना समेत अन्य पर भी चर्चा करेंगे। बता दें कि राज्य में विधानसभा चुनाव होने के लिए कम समय बचा है ऐसे में मुख्यमंत्री चाहते हैं सभी योजनाओं को जल्द ही ‘अमलीजामा’ पहनाया जाए। ऐसे में धामी केंद्र से भी मदद लेने के लिए ‘आग्रह’ करेंगे। इसके अलावा राज्य में नई विकास योजनाएं और सौगातों पर भी ‘मुहर’ लग सकती है। शुक्रवार देर रात दिल्ली पहुंचने पर सबसे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने राजनितिक गुरु व महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भेंट कर ‘आशीर्वाद’ लिया। बता दें कि जब भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे तब धामी उनके ‘ओएसडी’ हुआ करते थे। इसके साथ कोश्यारी पुष्कर सिंह धामी के ‘राजनीतिक गुरु’ भी हैं। पुष्कर सिंह को मुख्यमंत्री बनाने में भगत सिंह कोश्यारी की भी बड़ी भूमिका रही है। कोरोना की दूसरी लहर का घातक रूप देख चुके प्रदेश के सामने अब तीसरी लहर का खतरा है। इससे निपटने को चाक-चौबंद व्यवस्था के लिए केंद्र सरकार से उत्तराखंड सरकार को मदद की दरकार है, साथ में लंबे समय से धीमे पड़े विकास कार्यों को गति देना जरूरी हो गया है। कोरोना महामारी की वजह से राज्य में अधिकांश काम ‘रुके’ हुए हैं। इन विकास कार्यों को आगे बढ़ाना नए मुख्यमंत्री धामी के लिए बड़ी ‘चुनौती’ भी है। धामी के ‘एजेंडेे’ में इन विकास कार्यों को विधानसभा चुनाव से पहले पूरा करने की होगी। संभव है पीएम मोदी से मुलाकात के बाद धामी उत्तराखंड के लिए कोई नई ‘सौगात’ की भी घोषणा कर सकते हैं। दूसरी ओर देवभूमि की जनता नई घोषणाएं लागू करने के लिए मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे को लेकर ‘टकटकी’ लगाए हुए हैं। धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद भाजपा हाईकमान के दरबार में यह पहला दौरा है। उम्मीद लगाई जा रही है कि वहां से वह देहरादून विकास योजनाओं की झोली भर कर लौटेंगे। क्योंकि विधानसभा चुनाव भी अब ‘दहलीज’ पर खड़ा है।