Uttarakhand news : हमारे देश में यूँ तो हल्दी का उत्पादन सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्णाटक तथा तमिलनाडु आदि राज्यों में होता है। बावजूद इसके उत्तराखंड के एक किसान ने अपनी जैविक खेती की मेहनत के बल पर हल्दी के एक पौधे से 25 किलोग्राम हल्दी पैदा करने का एक रिकॉर्ड कायम किया है। नैनीताल जिले के गौलापार निवासी प्रगतिशील किसान नरेन्द्र मेहरा ने हल्दी के एक पौधे से जैविक तरीके से (बिना रसायन खाद के) 25 किलो हल्दी उत्पादित कर अपना नाम वर्ल्ड ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया है। गहन निरीक्षण के बाद वर्ल्ड ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड ने उनकी इस उपलब्धि को विश्व रिकॉर्ड में शामिल करते हुए उन्हें गोल्ड मेडल और प्रमाण पत्र दिया है। नरेन्द्र मेहरा को तमिलनाडु कोयंबटूर में आयोजित कार्यक्रम में गन्ना आयुक्त एचडी पांडे तथा संस्थान की निदेशक डॉ. हेमा प्रभा ने उन्हें प्रमाण पत्र और मेडल दे कर सम्मानित किया। हालाँकि यह करिश्मा उन्होंने पिछले वर्ष ही दिखा दिया था, जिसका इनाम उन्हें अब मिला है।
मेहरा ने मीडिया को बताया कि दो वर्ष पहले उन्होंने घर के पास पानी का टैंक बनवाया। टैंक की खुदाई के दौरान निकली मिट्टी में कुछ दिनों बाद हल्दी का पौधा उग आया। पहले वर्ष इससे तीन-चार कोपल निकली। स्वत: निकली हल्दी की कोपलों के किनारे में उन्होंने वर्मी कंपोस्ट (गोबर की जैविक खाद) डाली। कीटनाशक रोकथाम के लिए तरल जैविक खाद का छिड़काव किया। पतझड़ में पत्तियां झड़ गईं, लेकिन अगले वर्ष फिर नई कोपल निकल आई। उसके बाद उन्होंने कंद के आसपास की मिट्टी निकालकर फिर से जैविक खाद दी। कुछ समय बाद उन्होंने हल्दी के पौधे का खुदान किया। पौधा उनकी उम्मीद से अधिक विस्तार लिए था। उन्होंने गैंती और दो मजदूरों की मदद से हल्दी की कंद को निकाला। जब उसे तराजू में तोला तो वह करीब 25 किलो निकली।
प्रयोगधर्मी किसान के रूप में पहचान बनाने वाले मेहरा ने कृषि क्षेत्र में अनेक अभिनव प्रयोग किए हैं। वे धान और गेहूं की फसलों का जैविक विधि से उत्पादन कर चुके हैं। इस के साथ ही वह विलुप्त हो रहे परम्परागत धान के बीजों के संरक्षण का काम भी कर रहे हैं। वे पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से जैविक खेती की दिशा में कार्य कर रहे हैं।