Uttarakhand government got 45.33 acres of land of HMT factory located in Haldwani, Ranibagh

भारत सरकार द्वारा उत्तराखंड के रानीबाग और हल्द्वानी स्थित एचएमटी की 45.33 एकड़ जमीन उत्तराखण्ड सरकार को हस्तांतरित कर दी गई है। इस संबंध में भारी उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आदेश भी जारी कर दिया गया है। इसके अनुसार रानीबाग और हल्द्वानी स्थित एचएमटी की 45.33 एकङ भूमि उत्तराखण्ड सरकार को 72 करोड़ 02 लाख 10 हजार रूपये की रिजर्व प्राईस पर हस्तांतरित की गई है। एक समय देश की सबसे बड़ी घड़ी निर्माता कंपनी रही एचएमटी की फैक्ट्री 2016 से बंद पड़ी है।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एचएमटी की भूमि उत्तराखण्ड सरकार को हस्तांतरित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह डबल इंजन सरकार की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उत्तराखंड की बहुप्रतीक्षित माँग को पूरा किया गया  है।यह मामला काफ़ी लम्बे समय से लम्बित था।अब प्रदेश सरकार को भूमि हस्तांतरित हो गई है।इसका उपयोग प्रदेश के हित में और प्रदेश के विकास हेतु किया जाएगा।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इसके लिये अनुरोध किया था। साथ ही अगस्त माह में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय के साथ बैठक में भी इस बात को उठाते हुए एचएमटी की उक्त भूमि उत्तराखण्ड सरकार को हस्तांतरित किये जाने का अनुरोध किया था।

एक समय भारत की सबसे बड़ी घड़ी निर्माता कंपनी थी एचएमटी

कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी के रानीबाग में भारत की सबसे बड़ी घड़ी निर्माता कंपनी एचएमटी की फैक्ट्री की स्थापना की गई थी। 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इसे स्वीकृति दी थी। उद्योग मंत्री नारायण दत्त तिवारी ने शिलान्यास और 1985 में, प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसका उद्घाटन किया था। एक समय हुआ करता था जब एचएमटी की घड़ियां लोगों की शान का प्रतीक हुआ करती थी। लोग एचएमटी की घड़ियां पहनना स्टेटस का सिंबल माना करते थे। लेकिन वक्त की रफ्तार के आगे एचएमटी टिक न सकी और बंद हो गई। एचएमटी किसी व्यक्ति की कंपनी नहीं थी। इसका निर्माण भारत सरकार द्वारा किया गया था।

एचएमटी को साल 1953 में भारत सरकार के द्वारा शुरू किया गया था। एचएमटी का पूरा नाम हिंदुस्तान मशीन टूल्स है। शुरुआत में इसका काम एक टूल्स बनाने का था। लेकिन कुछ सालों में इस कंपनी ने घड़ियां, ट्रैक्टर, प्रिंटिंग मशीनरी, बेरिंग बनाना भी शुरू किया। एचएमटी ने दुनिया में काफी सारी अच्छी टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ मिलकर बेहतर प्रोडक्ट भारत को दिए जो यहां काफी ज्यादा पसंद किए गए। एचएमटी की घड़ियां भारत में काफी फेमस थी। साल 1995 में टाइटन को घड़ियां बनाने का लाइसेंस मिला, जिसके चलते लोगों ने एचएमटी को छोड़कर टाइटन को पसंद किया। इस वजह से कंपनी धीरे-धीरे नुकसान में जाने लगी और साल 2016 में एचएमटी को पूरी तरह से बंद कर दिया गया।