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UKSSSC exam cancelled: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा 21 सितंबर, 2025 को आयोजित प्रतियोगी परीक्षा में अनियमितताओं की जांच हेतु राज्य सरकार द्वारा गठित एकल सदस्यीय जांच आयोग ने आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की। आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) यू.सी. ध्यानी द्वारा की गई। जिसके बाद राज्य सरकार द्वारा परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया गया। तीन महीने के भीतर दोबारा परीक्षा कराई जाएगी।

जिसके बाद यूकेएसएसएससी ने भर्ती परीक्षा को निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। आयोग की ओर से कहा गया कि अन्य परीक्षाओं पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ेगा।  जांच के लिए गठित एकल सदस्यीय जांच आयोग की रिपोर्ट सौंपने के बाद आज प्रदेश सरकार की ओर से परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया गया।

पेपर लीक प्रकरण के बाद उत्तराखंड बेरोजगार संघ के बैनर तले प्रदेश के युवा धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। इस बीच सीएम धामी युवाओं के बीच पहुंचे थे। उनकी मांगों पर कार्रवाई का आश्वासन दिए जाने के बाद युवाओं ने अपना धरना खत्म किया था। मामले में कार्रवाई के लिए युवाओं ने सरकार को दस दिन का समय दिया था, जिसकी मियाद आज पूरी हो रही थी। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी और सरकार ने परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया।

परीक्षा में हरिद्वार के एक केंद्र से पेपर के तीन पेज मोबाइल के माध्यम से बाहर आ गए थे और परीक्षा के दौरान ही सोशल मीडिया में वायरल हो गए थे। मामले में छात्रों ने परीक्षा रद्द करने और सीबीआई जांच की मांग को लेकर आंदोलन किया था, जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद आंदोलन स्थल पर पहुंचे थे और सीबीआई जांच की घोषणा की थी।

परीक्षा को छात्रहित में रद्द करने की मांग

सीएम धामी ने मामले में एसआईटी गठन के साथ ही उत्तराखंड उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की अध्यक्षता वाले एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन भी किया था।

जांच आयोग ने सभी जगह हुए जनसंवाद के आधार पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार परीक्षा रद्द करने को लेकर बड़ा फैसला लिया है। उधर, भाजपा विधायक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को सीएम धामी से मिलकर परीक्षा को छात्रहित में रद्द करने और दोबारा कराने की मांग की थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार परीक्षाओं की शुचिता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। भविष्य में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी भर्ती परीक्षा में अनियमितता की कोई संभावना न रहे और अभ्यर्थियों तथा उनके अभिभावकों का विश्वास राज्य की परीक्षा प्रणाली पर बना रहे।