dronacharya award subhash rana

DRONACHARYA AWARD 2025: उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है। उत्तराखंड में टिहरी गढ़वाल, नैनबाग क्षेत्र के चिलामू गांव निवासी व अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज जसपाल राणा के भाई सुभाष राणा को द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। खेल मंत्रालय 17 जनवरी को शूटिंग कोच सुभाष राणा को द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित करेगा। सम्मान के रूप में उन्हें 15 लाख रुपये की धनराशि के साथ ही प्रशस्तिपत्र दिया जाएगा।

द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए चयनित कोच सुभाष राणा के खाते में चार अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण और दो रजत पदक शामिल हैं। उन्होंने साल 1994 में इटली और साल 1998 में स्पेन में हुई विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में भाग लिया था। एक कोच के तौर पर उनकी उपलब्धियों की चर्चा करें, तो टोक्यो पैरालंपिक 2020 में शामिल हुई शूटिंग टीम को उन्होंने प्रशिक्षित किया था। इस टीम ने पैरालंपिक में पांच मेडल जीते थे। भारतीय पैरा शूटिंग टीम के वह लंबे समय तक प्रशिक्षक रहे हैं। सुभाष को द्रोणाचार्य पुरस्कार मिलने पर जौनपुर और नैनबाग क्षेत्र में खुशी की लहर है।

राष्ट्रीय खेल हमारे लिए सौगात, रुकेगा खिलाड़ियों का पलायन’

द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए चयनित कोच सुभाष राणा मानते हैं कि 38 वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी हमारे लिए किसी सौगात से कम नहीं है। इस आयोजन के दौरान खेलों के लिए इतना बड़ा आधारभूत ढांचा उत्तराखंड में तैयार हो जाएगा, कि खेल प्रतिभाओं को प्रशिक्षण के लिए बाहर नहीं जाना पडे़गा। स्थिति ऐसी बदलेगी कि अन्य प्रदेशों के खिलाड़ी प्रशिक्षण के लिए यहां आने शुरू हो जाएंगे। राणा का यह भी कहना है कि सुविधाओं के अभाव में खिलाड़ियों के अन्य प्रदेशों से खेलने पर भी रोक लग जाएगी। इस तरह से यह आयोजन खेल पलायन को भी रोकेगा। राणा ने राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी को शुभकामनाएं भी दी।

प्रशिक्षण के लिए हमारे बच्चों को बाहर नहीं जाना पडे़गा

द्रोणाचार्य पुरस्कार मिलने पर राणा का कहना है-जब आपके काम को मान्यता मिलती है, तो स्वाभाविक तौर पर उत्साह बढ़ता है और खुशी मिलती है। 38 वें राष्ट्रीय खेलों के लिए उत्तराखंड की मेजबानी को वह खेल विकास के लिए बहुत बडे़ अवसर के तौर पर देखते हैं। राणा के अनुसार-राष्ट्रीय खेल जहां भी होते हैं, वहां खेल का बड़ा आधारभूत ढांचा तैयार हो जाता है। इससे खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने और निखरने का अवसर मिलता है। खेल का जो आधारभूत ढांचा उत्तराखंड में दस-बीस वर्षों बाद तैयार होना था, वह राष्ट्रीय खेलों की वजह से कुछ दिनों में ही तैयार मिलेगा। नई प्रतिभाओं को आगे आने में इससे बहुत लाभ मिलेगा। उत्तराखंड खेलों में नई ऊंचाइयां प्राप्त करेगा।