छात्रों की सबसे बड़ी ताकत है शिक्षा: डॉ. देवेंद्र फर्स्वाण

श्रीनगर गढ़वाल: राजकीय इंटर कॉलेज स्वीत, खिर्सू (पौड़ी गढ़वाल) में उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी हरि सिंह बिष्ट (सेवानिवृत्त एडीओ), विशिष्ट अतिथि डॉ. देवेंद्र फर्स्वाण (राज्य आंदोलनकारी एवं अध्यक्ष, गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ), एसएमसी अध्यक्ष रीना रावत एवं प्रधानाचार्य महेंद्र सिंह नेगी द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

कार्यक्रम के शुभारम्भ पर विद्यालय की छात्राओं ने अतिथियों के स्वागत में मधुर स्वागत गीत प्रस्तुत किया। प्रधानाचार्य महेंद्र सिंह नेगी ने कार्यक्रम के मुख्य एवं विशिष्ट अतिथियों का स्वागत करते हुए सभी ज्ञात-अज्ञात उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए और राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएँ दीं।

भूगोल प्रवक्ता डॉ. शिवराज रावत, भौतिकी प्रवक्ता प्रवीण भट्ट, जीवविज्ञान प्रवक्ता महेश्वर उनियाल, रसायन विज्ञान प्रवक्ता नरेंद्र कुमार तिवारी, तथा राजकीय शिक्षक संघ ब्लॉक खिर्सू अध्यक्ष अव्वल सिंह पुंडीर ने अतिथियों का माल्यार्पण, बैज अलंकरण एवं अंगवस्त्र भेंट कर स्वागत किया।

इस अवसर पर डॉ. शिवराज रावत, जो 1994 में गढ़वाल विश्वविद्यालय रिसर्च एसोसिएशन के अध्यक्ष थे, ने राज्य आंदोलन में छात्रों की भूमिका पर प्रकाश डाला। जीवविज्ञान प्रवक्ता महेश्वर उनियाल ने कहा कि उत्तराखंड आन्दोलन के समय हर व्यक्ति चाहे व्यापारी हो, कर्मचारी हो या छात्र हो सभी ने अपनी भूमिका में शतप्रतिशत योगदान दिया.

विशिष्ट अतिथि डॉ देवेंद्र फर्स्वाण ने छात्र-छात्राओं को आंदोलन की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन सन 1994 में 27% आरक्षण, अन्य विभागों के अलावा शिक्षा विभाग में भी लागू हुआ तो छात्र सड़कों पर उतर आये. इसीबीच उत्तराखंड के गांधी स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी छात्रों के आंदोलन में गढ़वाल विश्वविद्यालय गेट पहुंचे. जिसके बाद वह आंदोलन 27% आरक्षण की जगह उत्तराखंड राज्य आंदोलन में परिवर्तित हो गया.

2 अगस्त 1994 को स्वर्गीय बडोनी मंडल मुख्यालय पौड़ी में भूख हड़ताल पर बैठ गए. वहां से उन्हें उठाकर मेरठ जेल भेज दिया गया. उसके बाद 1 सितंबर को खटीमा कांड, 2 सितंबर को मसूरी गोली कांड एवं दो अक्टूबर को मुजफ्फरनगर गोलीकांड इस तरह आंदोलन आगे बढ़ता रहा. सरकार की दमनकारी नीति के बाद भी आंदोलन अहिंसात्मक रहा और अंततः मजबूर होकर सरकार को उत्तराखंड राज्य की स्थापना करनी पड़ी।

मुख्य अतिथि हरि सिंह बिष्ट ने कहा कि “राज्य आंदोलन में व्यापारी, कर्मचारी, छात्र, मातृशक्ति और संस्कृति कर्मियों ने निस्वार्थ भाव से भाग लिया और कर्मचारियों ने चार महीने तक वेतन की चिंता किए बिना संघर्ष किया।”

कार्यक्रम के दौरान विद्यालय की होनहार छात्रा प्रिया पंवार को खो-खो में राज्य स्तर पर चयन के लिए सम्मानित किया गया।

समारोह में शिक्षक राहुल लिंगवाल, जय लाल सिंघवाण, डी.बी. घिल्डियाल, जया बहुगुणा, पुष्पा दानू, मनवीर पवार, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सीता देवी, रीता देवी, प्रयोगशाला सहायक अमित मुयाल, एसएमसी सदस्य मीनाक्षी तिवारी एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य महेंद्र सिंह नेगी ने राज्य आंदोलनकारियों डॉ. देवेंद्र फर्स्वाण एवं हरि सिंह बिष्ट के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि “ऐसे महान व्यक्तित्वों का सम्मान विद्यालय के लिए गौरव का क्षण है।” कार्यक्रम का संचालन अंग्रेज़ी प्रवक्ता राकेश मोहन कंडारी ने किया।