नई दिल्ली : उत्तराखंड में सख्त भू-क़ानून बनाने और वनों पर उत्तराखंडियों के पुश्तैनी हक़-हकूक व वनाधिकार बहाली के लिये उत्तराखंडियों ने आज सांसदों और केन्द्र सरकार को जगाने हेतु दिल्ली के जन्तर-मंतर पर सांकेतिक धरना दिया। पुलिस द्वारा अनुमति न दिये जाने के बावजूद भी तमाम उत्तराखंडी धरना स्थल पर जमे रहे। इस दौरान धरना स्थल पर बैठे आन्दोलनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन देकर माँग की कि अन्य हिमालयी राज्यों की तरह उत्तराखंड के लिये भी वहाँ की ज़मीनों को बचाने के लिये क़ानून बनाया जाना चाहिये। जिससे वहाँ के जन, जल, जंगल व ज़मीन को बचाया जा सके। वनाधिकार क़ानून-2006 को राज्य में लागू किया जाय और वनाधिकार क़ानून की भावना के अनुरूप उत्तराखंडियों को वनों पर उनके विरासती सामुदायिक और व्यक्तिगत अधिकारों व हक़-हकूकों को उन्हें वापस किया जाय।
आन्दोलनकारियों ने कहा कि राज्य की 91% भूमि उत्तराखंडियों ने राष्ट्र व मानवता की रक्षा के लिये समर्पित कर रखी है। मात्र 9% भूमि पर वहाँ के निवासी गुज़र-बसर कर रहे हैं। या तो राज्य के निवासियों को इस भूमि को वापस किया जाय या उसकी क्षतिपूर्ति दी जाय।
क्षतिपूर्ति के रूप में वहाँ के निवासियों को Forest Dweller घोषित किया जाय और देश के अन्य भागों के Forest Dwellers को जो सुविधायें दी जा रही हैं, उत्तराखंडियों को भी दी जायँ, जिसमें वहाँ के निवासियों को क्षतिपूर्ति के रूप में राज्य के निवासियों को बिजली, पानी व रसोई गैस निशुल्क दी जाय। परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार पक्की सरकारी नौकरी दी जाय। केंद्र सरकार की सेवाओं में आरक्षण दिया जाय, जंगली जानवरों से जन हानि पर 25 लाख रुपये मुवावजा और प्रभावित परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी दी जाय। जड़ी-बूटियों के दोहन पर स्थानीय समुदाय का अधिकार हो तथा जल सम्पदा व नदियों पर लोकाधिकार हो। यह बिलकुल सही और उपयुक्त समय है जब वन तथा वन्य पशु से सम्बन्धित क़ानूनों की समीक्षा ज़रूरी हो गयी है। ये नियम-क़ानून स्थानीय समुदायों पर कुठाराघात करते हैं।
आन्दोलनकारियों ने केंद्र व राज्य सरकार से अनुरोध करते हुए कहा कि इन जायज़ माँगों को तुरन्त स्वीकार किया जाय। बल्कि कहा कि विधानसभा चुनावों से पहले इस पर निर्णय लिया जाय।
इस मुहीम को आगे बढ़ाने के लिये जन संगठनों, सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों को भी जोड़ने का काम किया जायेगा। साथ ही भविष्य के आन्दोलन की रूप रेखा बनायी जायेगी। इस सांकेतिक धरना की अध्यक्षता उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व मंत्री एवं पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय द्वारा की गई। धरना में अखिल भारतीय कांग्रिस कमेटी के सह सचिव हरीपाल रावत, उत्तराखंड आंदोलनकारी एवं समाजसेवी अनिल कुमार पंत, “आम आदमी पार्टी” के प्रताप थलवाल, राजेंद्र भंडारी, राजेश राणा, वरिष्ठ साहित्यकार रमेश चंद्र घिल्डियाल, वरिष्ठ पत्रकार अमर चंद, वरिष्ठ समाजसेवी अजय सिंह बिष्ट, राकेश नेगी, राधा आर्य, रजनी जोशी ढौंढियाल, मंजू रतूड़ी, हर्षवर्धन खंडूरी, सूरज प्रहरी, उमा जोशी, अजय शर्मा, कृष्णा जीपिएस रावत आदि उपस्थित थे।