Padma Awards 2024: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया गया। इस साल 5 पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 110 पद्मश्री पुरस्कार दिए जाएंगे। उत्तराखंड के प्रसिद्व इतिहासकार एवं साहित्यकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच को पद्मश्री सम्मान 2024 से सम्मानित करने के लिए चुना गया है। डॉ. यशवंत सिंह कठोच को उत्तराखंड के इतिहास और साहित्य संकलन के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने के लिए इस सम्मान के लिए चुना गया है। डॉ यशवंत सिंह कठोच इतिहास के विशेषज्ञ व जानकार हैं। उत्तराखंड के इतिहास को लेकर उन्होंने काफी कार्य किया और वह इसे किताबों के माध्यम से दुनिया के सामने लाए। आज भी राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं में उनके द्वारा लिखित किताबों को संदर्भित करते हुए प्रश्न बनाए जाते हैं। डॉ कठोच को बतौर इतिहास विशेषज्ञ समय-समय पर लोक सेवा आयोग में भी बुलाया जाता है।

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के एकेश्वर विकासखंड स्थित मांसों गांव के मूल निवासी डॉ यशवंत सिंह कठोच पेशे से शिक्षक थे, लेकिन सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने अपना पूरा समय पुस्तक लेखन और उत्तराखंड से जुड़े इतिहास को खोजने में बिता दिया। उनका जन्म पौड़ी जिले के चौन्दकोट पट्टी के मासौं गांव में 27 दिसंबर 1935 को हुआ था। उन्होंने 1974 में आगरा विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति तथा पुरातत्व विषय में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया। वर्ष 1978 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के गढ़वाल हिमालय के पुरातत्व पर शोध ग्रंथ प्रस्तुत किया और विश्वविद्यालय ने उन्हें डीफिल की उपाधि से नवाजा। एक शिक्षक के रूप में उन्होंने 33 साल सेवाएं दीं। वर्ष 1995 में वह प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए।

उत्तराखंड के इतिहास पर कर चुके कार्य

89 साल के डॉ यशवंत सिंह कठोच भारतीय संस्कृति, इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में निरंतर शोध कर रहे हैं। वे अब तक मध्य हिमालय का पुरातत्व, उत्तराखंड की सैन्य परम्परा, संस्कृति के पद चिन्ह, मध्य हिमालय ग्रंथ माला समेत 10 से अधिक किताबें लिखने के साथ 50 से अधिक शोध पत्रों का वाचन कर चुके हैं। लेकिन उनकी पुस्तक ‘उत्तराखंड का नवीन इतिहास’ ने उन्हें एक अलग पहचान दी। इस पुस्तक में डॉ कठोच ने वह सब शोध कर लिखा जो एटकिंसन के हिमालयन गजेटियर में लिखना छूट गया था। इस पुस्तक में उत्तराखंड के इतिहास की बारीकी से जानकारी है। वह वर्ष 1973 में स्थापित उत्तराखंड शोध संस्थान के संस्थापक सदस्य हैं।

डॉ कठोच की लिखने की शैली को लेकर एक किस्सा काफी प्रचलित है। दरअसल कठोच कण्वाश्रम पर एक लेख लिख रहे थे। यह लेख उन्होनें तकरीबन 20 साल पहले लिखा लेकिन इस लेख को लिखने के बाद भी उन्हें वह अनूभति नहीं हुई, तो वह स्वयं कण्वाश्रम के जंगल में गए। यहां पुरातत्व व अवशेषों को लेकर खुद शोध किया और तस्दीक की।

पद्म पुरस्कार कला, साहित्य, शिक्षा, खेल, चिकित्सा, विज्ञान, लोक कार्य, समाज सेवा, इंजीनियरिंग, सिविल सेवा, व्यापार, उद्योग समेत अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धि या सेवाओं के लिए दिए जाते हैं।

तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं पुरस्कार

  1. पद्म विभूषण- असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए।
  2. पद्म भूषण- उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए।
  3. पद्म श्री- विशिष्ट सेवा के लिए।